सर्दियों में आपको रोज कितना पानी पीना चाहिए?
सर्दियों में हमें प्यास कम लगती है, लेकिन शरीर की पानी की ज़रूरत गर्मियों जितनी ही रहती है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, एक नॉर्मल, हेल्दी इंसान को रोज़ लगभग 8-10 गिलास, या 2 से 2.5 लीटर पानी पीना चाहिए. जिन लोगों की फिजिकल एक्टिविटी कम होती है और वे ज़्यादातर समय घर या ऑफिस में बैठे रहते हैं, उनके लिए लगभग 2 लीटर पानी पीना सही माना जाता है. जो लोग ज़्यादा एक्टिव रहते हैं, रेगुलर एक्सरसाइज़ करते हैं, या बाहर काम करते हैं, उन्हें हाइड्रेटेड रहने के लिए रोज़ाना 10 से 12 गिलास, या 2.5 से 3 लीटर पानी पीना चाहिए. ठंड के मौसम में प्यास कम लगती है, इसलिए पानी पीने की आदत डालना ज़रूरी है; नहीं तो डिहाइड्रेशन आसानी से हो सकता है.
सर्दियों में पानी पीना क्यों ज़रूरी है?
मौसम कोई भी हो, शरीर को अंदर से पानी की ज़रूरत होती है. सर्दियों में पसीना कम आता है, इसलिए यह सोचना धोखा हो सकता है कि पानी की ज़रूरत कम होती है. हालांकि, शरीर के हर अंग को ठीक से काम करने के लिए बराबर मात्रा में पानी की ज़रूरत होती है. पानी की कमी से डिहाइड्रेशन हो सकता है, जो सर्दियों में चुपचाप हो सकता है और हमें पता भी नहीं चलता.
स्किन को मॉइस्चराइज़ करता है – सर्दियों में हवा ड्राई होती है, जिससे स्किन फटना, रूखापन और खुजली जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं .पानी स्किन में नमी बनाए रखने में मदद करता है, जिससे वह हाइड्रेटेड और ग्लोइंग रहती है.
डाइजेशन बेहतर करता है – सर्दियों में लोग ज़्यादा तला-भुना, भारी और मसालेदार खाना खाते हैं. इससे कब्ज का खतरा बढ़ जाता है. रोज़ाना खूब पानी पीने से डाइजेशन बेहतर होता है, कब्ज नहीं होता और पेट हल्का रहता है.
इम्यून सिस्टम को मज़बूत करता है – सर्दियों में सर्दी-ज़ुकाम और फ्लू ज़्यादा होते हैं. पानी टॉक्सिन को बाहर निकालने में मदद करता है, इम्यूनिटी बढ़ाता है और बार-बार बीमार होने का खतरा कम करता है.
शरीर का टेम्परेचर बैलेंस करता है – पानी शरीर का नैचुरल थर्मोरेगुलेटर है. सर्दियों में शरीर को गर्म रखने में पानी का बहुत बड़ा रोल होता है. इसलिए, अगर आपको पानी की कमी होगी, तो शरीर जल्दी थक जाएगा और ज़्यादा ठंडा महसूस होगा.
जोड़ों और मांसपेशियों की अकड़न कम करता है – सर्दियों में बहुत से लोगों को जोड़ों में दर्द, अकड़न या जकड़न महसूस होती है. पानी जोड़ों को लुब्रिकेट करता है, जिससे मूवमेंट आसान हो जाता है, दर्द कम होता है और मांसपेशियां मज़बूत होती हैं.