Difference Between Judge And Magistrate: जज और मजिस्ट्रेट जैसे शब्द हर किसी को मालूम है. भारत में न्यायपालिका तीन स्तरों पर कार्य करती हैं, जैसे- निम्न न्यायालय, उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय. इन तीनों स्तरों पर कार्य करने वाले अधिकारियों को जज और मेजिस्ट्रेट कहते हैं. लेकिन आपको पता है कि जज और मजिस्ट्रेट में काफी अंतर होता है. आइए जानते हैं कि कौन सबसे ज्यादा ताकतवर है.
जज और मजिस्ट्रेट में क्या अंतर है?
जज और मजिस्ट्रेट दोनों की भारतिय ज्यूडिशियल सिस्टम का एक अहम हिस्सा है.
जज (न्यायिक अधिकारी) : जज शब्द एंग्लो फ्रेंच शब्द जुगर से आया है. इसका मतलब न्यायिक अधिकारी होता है. वह अदालत में होने वाली पूरी सुनवाई को संचालन करता है. साथ ही लीगल मामलों पर अंतिम फैसला होता है.
मजिस्ट्रेट : मजिस्ट्रेट शब्द फ्रांसीसी शब्द से आया है. यह लोग जिला न्यायालय के अधीन काम करते हैं. इन लोगों के खिलाफ अपील कोई भी जिला और सत्र न्यायालय में की जा सकती है.
कैसे होती है जज की नियुक्ति?
जजों की नियुक्ति उच्च न्यायपालिका आयोग, राज्यपाल या राष्ट्रपति मिलकर करते हैं. वहीं हाईकोर्ट के जज की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं. वहीं मजिस्ट्रेट की नियुक्ति राज्य सरकार और हाईकोर्ट द्वारा की जाती है.
कितने प्रकार के होते हैं मजिस्ट्रेट?
मजिस्ट्रेट: ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (Judicial Magistrate) और एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट (Executive Magistrate)
वहीं जज कई प्रकार के होते हैं: डिस्ट्रिक्ट जज, सेशन जज, हाईकोर्ट जज और सुप्रीम कोर्ट के जज
कौन ज्यादा पावरफुल?
जज और मजिस्ट्रेट के पावर की बात करें, तो जज के पास ज्यादा शक्ति होती है. वह अदालती मामले में अकेले अंतिम फैसला सुना सकते हैं.