Ernakulam-Bengaluru Vande Bharat Express: 8 नवंबर 2025 को दक्षिण भारत के यात्रियों को बड़ा ही शानदार तोहफा दिया गया है. दक्षिण भारत के यात्रियों के लिए एक नई सुविधा का शुभारंभ किया गया है जिसका नाम एर्नाकुलम-बेंगलुरु वंदे भारत एक्सप्रेस है. दरअसल, यह अत्याधुनिक सेमी-हाई स्पीड ट्रेन केरल और कर्नाटक के बीच यात्रियों को तेज, आरामदायक और आधुनिक यात्रा अनुभव देती है.तो वहीं, दूसरी तरफ इस ट्रेन की शुरुआत होने से न सिर्फ दोनों राज्यों के बीच कनेक्टिविटी में सुधार देखने को मिलेगा बल्कि व्यापार, पर्यटन और सामाजिक संबंधों को भी एक नई गति प्राप्त होगी.
एर्नाकुलम-बेंगलुरु वंदे भारत एक्सप्रेस की ट्रेन संख्या
अब बात करते हैं एर्नाकुलम-बेंगलुरु वंदे भारत एक्सप्रेस की ट्रेन संख्या के बारे में. इस ट्रेन की संख्या 26651 है, जो बेंगलुरु से रोजाना सुबह 5:10 बजे रवाना होती है और दोपहर 1:50 बजे एर्नाकुलम पहुंच जाती है. अगर देखा जाए तो, कुल 8 घंटे 40 मिनट में यह वंदे भारत एक्सप्रेस बड़े ही आसानी से दूरी तय कर लेती है. तो वहीं, वापसी की बात की जाए तो ट्रेन संख्या 26652 एर्नाकुलम से दोपहर 2:20 बजे प्रस्थान करती है और रात 11:00 बजे बेंगलुरु पहुंचती है. इसी तरह यात्रियों को दोनों दिशाओं में एक ही दिन में आने-जाने की बेहतरीन सुविधा मिल जाती है. यात्रियों को एर्नाकुलम-बेंगलुरु वंदे भारत एक्सप्रेस में किसी तरह की मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ता है.
अपने सात प्रमुख स्टेशनों पर ठहरती है वंदे भारत एक्सप्रेस
चलिए अब जानते हैं यह वंदे भारत एक्सप्रेस किन सात प्रमुख स्टेशनों पर ठहरती है. कोइंबटूर, सलेम, इरोड, तिरुपुर, पालक्काड और थ्रिस्सूर दरअसल, यह सभी स्टेशन औद्योगिक और व्यावसायिक दृष्टि से बेहद ही महत्वपूर्ण रखते हैं. बात करें कोइंबटूर और तिरुपुर शहर के बारे में तो, यह दोनों शहर टेक्सटाइल और मैन्युफैक्चरिंग हब के लिए पूरे देशभर में बेहद ही प्रसिद्ध हैं. तो वहीं, सलेम और इरोड कृषि और लघु उद्योगों के लिए सबसे ज्यादा जाने जाते हैं. इस ट्रेन के जरिए व्यापारिक संबंधों को एक महत्वपूर्ण दिशा मिलेगी.
एर्नाकुलम-बेंगलुरु वंदे भारत एक्सप्रेस की किस प्रकार हैं सुविधाएं ?
बात करें एर्नाकुलम-बेंगलुरु वंदे भारत एक्सप्रेस की सुविधाओं के बारे में तो इस ट्रेन में आरामदायक सीटें, स्वचालित दरवाजे, जीपीएस आधारित सूचना प्रणाली, बायो-वैक्यूम शौचालय के साथ बेहतरीन सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं, ताकी यात्रियों के गतिविधी पर निगरानी रखी जाए. इतना ही नहीं यह पूरी ट्रेन एयर-कंडीशन्ड है और इसमें यात्रियों की सुविधा के लिए ऑनबोर्ड कैटरिंग की सुविधा भी खास तौर से शामिल है. इन सबके अलावा ट्रेन की गति और समयपालन इसे पारंपरिक एक्सप्रेस ट्रेनों की तुलना में कहीं ज्यादा कुशल बनाने में मदद करता है.
क्या रेल मंत्रालय का लक्ष्य और मेक इन इंडिया का मकसद
रेल मंत्रालय का लक्ष्य है कि वंदे भारत जैसी ट्रेनों से देश के प्रमुख शहरों को जोड़कर रेल यात्रा को तेज़ और तकनीकी रूप से और ज्यादा बेहतरीन और सुरक्षित बनाया जा सके. एर्नाकुलम-बेंगलुरु वंदे भारत के शुभारंभ से दक्षिण भारत में वंदे भारत ट्रेनों की संख्या और भी अधिक बढ़ गई है. यह पहल “मेक इन इंडिया” अभियान की सफलता को भी पूरी तरह से दर्शाती है, क्योंकि इस ट्रेन का निर्माण केवल भारत में ही किया गया है.
कुल मिलाकर, यह नई वंदे भारत एक्सप्रेस न सिर्फ यात्रियों के लिए सुविधा का प्रतीक है, बल्कि भारत की तकनीकी प्रगति और आधुनिक रेल परिवहन की दिशा में एक बड़ा और ऐतिहासिक कदमों में एक है.