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Margashirsha Maas 2025: कब से शरू हो रहा है मार्गशीर्ष माह, इस दिन से खुल जाएंगे स्नान, दान और दीपदान के लिए स्वर्ग के द्वार!

Margashirsha Maas 2025: कार्तिक महीने के बाद आने वाले महीने को मार्गशीर्ष माह कहा जाता है. ये धार्मिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. ये भगवान विष्णु का सबसे प्रिय महीना है. शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि इस पवित्र मास में स्नान, दान, दीपदान और व्रत करने से पापों का नाश होता है और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

By: Shivi Bajpai | Published: November 2, 2025 10:41:37 AM IST



Margashirsha Maas 2025 Date: वैदिक पंचांग का नौवां महीना, मार्गशीर्ष माह जल्दी ही शुरू होने वाला है. धार्मिक ग्रंथों में इस पवित्र महीने का खास महत्व बताया गया है, जिसे ‘अगहन मास’ भी कहा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस माह में किए गए स्नान, दान और दीपदान से मनुष्य के सभी पापों को नष्ट करता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता में कहा है कि ‘मासों में मैं मार्गशीर्ष हूँ’ , जिससे हर महीने के धार्मिक महत्व के बारे में पता चलता है.

कब से शुरू हो रहा है मार्गशीर्ष माह 2025?

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल मार्गशीर्ष महीने की शुरुआत 6 नवंबर 2025, गुरुवार से हो रही है. कार्तिक पूर्णिमा के अगले दिन से ही इस पवित्र माह का आरंभ हो जाता है और इसका समापन 4 दिसंबर 2025 को मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन होगा. यह महीना जप, तप और ध्यान के लिए सर्वोत्तम माना जाता है.

मार्गशीर्ष माह में किन देवी-देवताओं की करें पूजा 

भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण नित्य ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें और श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करें.

माता लक्ष्मी की करें पूजा: मार्गशीर्ष माह में माता लक्ष्मी की पूजा करने से धन और ऐश्वर्य का वास होता है.

तुलसी जी की पूजा करने का विशेष महत्व है इस दिन तुलसी माता को जल अर्पित करें और उनकी परिक्रमा करें.

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा करने का विशेष महत्व होता है, जिससे मानसिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है.

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स्नान, दान और दीपदान का विशेष महत्व

पवित्र नदियों में स्नान

इस माह में गंगा, यमुना या किसी भी पवित्र नदी में सूर्योदय से पूर्व स्नान करना अत्यंत फलदायी होता है. यदि नदी में स्नान संभव न हो तो नहाने के पानी में तुलसी के पत्ते डालकर स्नान करना चाहिए.

स्नान के समय ‘ॐ नमो भगवते नारायणाय’ या गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए.

दीपदान

मार्गशीर्ष माह में दीपदान का विशेष महत्व है. शाम के समय तुलसी के पौधे के पास और मंदिर में दीपक अवश्य जलाना चाहिए. यह कर्म जीवन में प्रकाश और सकारात्मकता लाता है.

दान

इस महीने में सामर्थ्य अनुसार अन्न, वस्त्र, कंबल, गुड़ और तिल का दान करना बहुत शुभ माना जाता है.

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(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. इनखबर इस बात की पुष्टि नहीं करता है)

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