Delhi News: पिछले कुछ सालों में आपने कई बड़े और छोटे शहरो के नाम बदलते देखे होंगे. खासकर उत्तर प्रदेश के कई इलाके में ऐसे ही बदलाव हुए है. इसी बीच एक भाजपा नेता ने दिल्ली का नाम बदलने की मांग की है. उनका कहना है कि दिल्ली का अंग्रेजी नाम Delhi होना चाहिए. न कि Dilli. यानी इसे वैसे ही लिखा जाना चाहियेय जैसे इसका उच्चारण होता है. उनके इस बयान के बाद नाम बदलने को लेकर बहस एक बार फिर तेज हो गई है. इसलिए आज हम आपको दिल्ली के नाम का इतिहास और उससे जुड़ी तमाम जानकारी देंगे.
‘इतिहास और संस्कृति से जुड़ाव’
सवाल यह है कि क्या दिल्ली का नाम बदला जाएगा। कुछ लोग इसे इंद्रप्रस्थ करने की माँग कर रहे हैं, तो कुछ दिल्ली। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने हाल ही में दिल्ली सरकार को पत्र लिखकर राजधानी का नाम इंद्रप्रस्थ करने की माँग की है। विहिप के दिल्ली राज्य सचिव सुरेंद्र कुमार गुप्ता ने मंत्री कपिल मिश्रा को लिखे अपने पत्र में कुछ बातें रखीं। उन्होंने कहा कि दिल्ली को उसके प्राचीन इतिहास और संस्कृति से जोड़ने के लिए यह नाम परिवर्तन ज़रूरी है।
इतिहास का जुड़ाव क्या है?
सवाल ये है कि क्या दिल्ली का नाम बदला जायेगा? कुछ लोग इसे इंद्रप्रस्थ करने की मांग कर रहे है, तो कुछ दिल्ली की कर रहे है. विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने हाल ही में दिल्ली सरकार को पत्र लिखकर राजधानी का नाम इंद्रप्रस्थ करने की मांग की है.
दिल्ली शब्द संस्कृत के “ढिल्लिका” शब्द से बना है. इसके अलावा विश्व हिन्दू परिषद (VHP) ने इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे, दिल्ली रेलवे स्टेशन और शाहजहानाबाद पुनर्विकास निगम का नाम बदलकर इंद्रप्रस्थ रखने की सिफारिश की है. इस बहस में एक और आवाज शामिल हो गई है. पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल की है. उन्होंने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को पत्र लिखकर मांग की है कि राजधानी का अंग्रेजी नाम दिल्ली से बदलकर दिल्ली किया जाए. उनका तर्क है कि दिल्ली शब्द संस्कृत के “ढिल्लिका” शब्द से बना है और ब्रिटिश शासन ने इसके उच्चारण और वर्तनी में बदलाव किया था.
विजय गोयल ने क्या कहा?
विजय गोयल का यह भी तर्क है कि जिस तरह मुंबई, कोलकाता और चेन्नई ने स्थानीय नाम अपनाए गये. उसी तरह दिल्ली का नाम भी अपनी सांस्कृतिक पहचान और भावनात्मक जुड़ाव बनाए रखने के लिए “दिल्ली” रखा जाना चाहिए. गोयल ने सुझाव दिया है कि 1 नवंबर को लॉन्च होने वाले नए सरकारी लोगो में “Dilli” शब्द को शामिल किया जाए. उनका मानना है कि इससे राजधानी की अंतरराष्ट्रीय पहचान और मजबूत होगी. ठीक उसी तरह जैसे बीजिंग या मॉस्को अपने स्थानीय नामों से जाने जाते है.
कोई आधिकारिक बयान नहीं…
इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि यह प्रस्ताव दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता तक पहुंचा है या नही. अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है. लेकिन दिल्ली के नाम को लेकर यह प्रस्ताव चर्चा का विषय जरूर बन गया है.