Bihar Assembly Election 2025: बिहार की राजनीति में बाहुबलियों का प्रभाव अभी भी कायम है. 2025 के विधानसभा चुनाव में लगभग 22 बाहुबली और उनके परिवार के सदस्य विभिन्न दलों से चुनावी मैदान लड़ने के लिए तैयार हैं.
बाहुबली/संबंधित व्यक्ति सीट का नाम पार्टी का नाम संबंध
1. अनंत सिंह (“छोटे सरकार)” मोकामा जेडीयू (JDU) स्वयं बाहुबली नेता
2. वीणा देवी मोकामा आरजेडी (RJD) बाहुबली सूरजभान सिंह की पत्नी
3. रितलाल यादव दानापुर आरजेडी (RJD) बाहुबली छवि वाले नेता
4. ओसामा शहाब रघुनाथपुर (सीवान) आरजेडी (RJD) दिवंगत बाहुबली मोहम्मद शहाबुद्दीन के पुत्र
5. चेतन आनंद नबीनगर (औरंगाबाद) जेडीयू (JDU) बाहुबली आनंद मोहन सिंह के पुत्र
6. मनोरंजन उर्फ धूमल सिंह एकमा (सारण) लोजपा (LJP) बाहुबली नेता
7. अमरेंद्र उर्फ पप्पू पांडेय कुचायकोट (गोपालगंज) जेडीयू (JDU) चर्चित बाहुबली नेता
8. विशाल प्रशांत बक्सर बीजेपी (BJP) बाहुबली सुनील पांडे के पुत्र
9. हुलास पांडे ब्रह्मपुर (बक्सर) लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) बाहुबली सुनील पांडे के भाई/परिवार से
10. शिवानी शुक्ला वैशाली आरजेडी (RJD) बाहुबली मुन्ना शुक्ला की पुत्री
11. विभा देवी नवादा जेडीयू (JDU) बाहुबली राजबल्लभ यादव की पत्नी
12. अनीता देवी वारिसलीगंज आरजेडी (RJD) कुख्यात अशोक माहतो की पत्नी
13. अरुणा देवी मंझी सीट बीजेपी (BJP) अखिलेश सिंह सरदार की पत्नी
14. रंधीर सिंह मंझी सीट जेडीयू (JDU) बाहुबली प्रभुनाथ सिंह के बेटे
प्रमुख दलों में बाहुबली परिवारों की हिस्सेदारी पार्टी के परिवार के सदस्य जैसे आरजेडी (RJD) वीणा देवी, रितलाल यादव, ओसामा शहाब, शिवानी शुक्ला, अनीता देवीजेडीयू (JDU)अनंत सिंह, चेतन आनंद, पप्पू पांडेय, विभा देवी, रंधीर सिंह बीजेपी (BJP)विशाल प्रशांत, अरुणा देवीलोजपा (LJP)मनोरंजन उर्फ धूमल सिंह, हुलास पांडे का नाम शामिल है.
बाहुबली नेताओं का राजनीतिक असर
इन परिवारों का स्थानीय स्तर पर बेहद ही मजबूत नेटवर्क है, जो चुनावी रणनीति के माध्यम से वोटों के बंटवारे को पूरी तरह से प्रभावित करता है. बात करें ग्रामीण इलाकों कि तो, ग्रामीण इलाकों में मतदाताओं पर ‘भय और भरोसा’ दोनों का संतुलन बनाकर ये परिवार सीधा-सीधा अपना असर डालते हैं.
राजनीति का बदलता चेहरा और ‘बाहुबली फैक्टर’
कई बाहुबली अब सीधे चुनाव लड़ने के बजाय अपनी जगह अपने परिवार के सदस्यों (जैसे पुत्र या पत्नी) को मैदान में उतारने में जुटे हुए हैं. पार्टियां इसे “नई पीढ़ी” को बढ़ावा देने और सॉफ्ट इमेज पेश करने की रणनीति के रूप में देख रही है. इसे एक बात तो साफ हो जाती है कि बिहार की राजनीति भले ही बदल रही हो, लेकिन 2025 के चुनाव में भी ‘बाहुबली फैक्टर’ कई सीटों पर हार-जीत चलती रहेगी.