देश में चुनावी सरगर्मियाँ एक बार फिर तेज़ होने वाली हैं. बिहार में मतदाता सूची संशोधन को लेकर मचे घमासान के बाद अब चुनाव आयोग ने 12 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की तैयारी शुरू कर दी है. लेकिन इस बार प्रक्रिया बिहार से काफी अलग रहने वाली है. खासतौर पर आधार सत्यापन, दस्तावेज़ नियम, और नाम जोड़ने की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया गया है.
आख़िर कौन से नए नियम लागू होंगे? किसे कौन-सा दस्तावेज़ देना होगा? और इस बार आम मतदाता को क्या करना होगा? आइए, आसान भाषा में समझते हैं पूरी प्रक्रिया…
12 और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में SIR
बिहार के बाद जिन 12 राज्यों में एसआईआर आयोजित की जाएगी, उनमें तीन केंद्र शासित प्रदेश भी शामिल हैं: पुडुचेरी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, और लक्षद्वीप. एसआईआर के इस चरण में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात, गोवा, केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल राज्य शामिल हैं. एसआईआर प्रक्रिया 4 नवंबर से शुरू होगी और 7 फरवरी, 2026 को अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन के साथ समाप्त होगी.
एसआईआर के लिए मुद्रण और प्रशिक्षण 28 अक्टूबर से शुरू हुआ और 3 नवंबर तक चलेगा. बिहार में एसआईआर को लेकर सवाल उठे कि इससे जुड़े विवाद के बाद इसमें क्या बदलाव किए गए हैं और इस दौरान आम मतदाता को क्या करना होगा?
सबसे महत्वपूर्ण बदलाव आधार कार्ड से संबंधित
दरअसल, सबसे महत्वपूर्ण बदलाव आधार कार्ड से संबंधित है. बिहार में एसआईआर के दौरान, आधार को पहचान दस्तावेजों की सूची में शामिल नहीं किया गया था, जिससे तीखा राजनीतिक विवाद छिड़ गया था. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँचा और बाद में अदालत के निर्देश पर चुनाव आयोग को इसे एक वैध दस्तावेज के रूप में स्वीकार करना पड़ा.
बिहार की मतदाता सूची से कैसे अलग होगी?
- इस साल की SIR के दौरान स्वीकार किए जाने वाले दस्तावेज़ों की सूची में (SIR) पहले से ही शामिल है.
- एक और बड़ा बदलाव समय-सीमा का है. बिहार में मतदाता पहचान पत्र सूची (SIR) का पहला चरण 27 जून को शुरू हुआ था और अंतिम मतदाता सूची 1 सितंबर को प्रकाशित हुई थी. बिहार में मतदाता पहचान पत्र (SIR) की पूरी प्रक्रिया लगभग सवा दो महीने चली. इस बार, SIR का पहला चरण 4 नवंबर से शुरू हो रहा है और मतदाता सूची 7 फरवरी को प्रकाशित होने वाली है. इस बार मतदाता पहचान पत्र (SIR) की प्रक्रिया तीन महीने से ज़्यादा समय तक चलेगी.
- बिहार मतदाता पहचान पत्र (SIR) में उन सभी मतदाताओं के दस्तावेज़ मांगे गए थे जिनके नाम 2003 के बाद मतदाता सूची में शामिल हुए थे. इस बार, कॉलम इस तरह बनाए गए हैं कि अगर पिता का नाम अंतिम मतदाता पहचान पत्र (SIR) में शामिल था, तो उस व्यक्ति का नाम बिना किसी दस्तावेज़ के स्वीकार कर लिया जाएगा.
- एक और बदलाव यह है कि पिछली मतदाता पहचान पत्र सूची (SIR) के समय किसी दूसरे राज्य में रहने वाले व्यक्ति के रिश्तेदार या बेटे को किसी दूसरे राज्य में दस्तावेज़ जमा करने की ज़रूरत नहीं होगी. बिहार एसआईआर में ऐसा नहीं था.
- इस एसआईआर में मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए गणना फॉर्म के साथ फॉर्म 6 भरा जाएगा। बिहार में ऐसा नहीं था। वहाँ एसआईआर के दूसरे चरण में फॉर्म 6 स्वीकार किया गया था.
दूसरे चरण में बदलाव
एसआईआर का दूसरा चरण भी बिहार से अलग होगा. 12 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में एसआईआर का दूसरा चरण दावे और आपत्तियों के लिए होगा. इस बार उन सभी लोगों को नोटिस भेजे जाएँगे जिनके नाम मतदाता सूची में नहीं जुड़ पाए थे. उन सभी की सुनवाई भी की जाएगी. बिहार में ऐसा नहीं था. बिहार में केवल उन्हीं लोगों को नोटिस भेजे गए थे जो दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं करा पाए थे.
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