India-USA: ‘युद्ध अभ्यास’ का 21वाँ संस्करण 1 से 14 सितम्बर 2025 तक अमेरिका के अलास्का के फोर्ट वेनराइट (Fort Wainwright) में आयोजित किया गया है। दोनों देशों की सेनाएँ अलास्का में एक साथ सैन्य अभ्यास कर रही हैं। दूसरी तरफ, अमेरिका के टैरिफ (Tarrif) और नीतियों को लेकर भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव बढ़ हुआ है। बता दें, भारतीय सेना की मद्रास रेजिमेंट की एक बटालियन वहां पहुंच चुकी है।
क्या है इस ट्रेनिंग का लक्ष्य ? (What is the Purpose of Yudh Abhyas 2025?)
इस अभ्यास का उद्देश्य दोनों सेनाओं के बीच मज़बूती बढ़ाना, यूनाइटेड नेशंस पीसकीपिंग मिशंस और आतंकवाद विरोधी अभियानों में एकीकरण को बढ़ावा देना है। यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय VII के अंतर्गत सब-कन्वेंशनल वारफेयर (गैर-पारंपरिक युद्ध) पर केंद्रित है।
व्यापारिक तनावों के बावजूद, यह अभ्यास रणनीतिक साझेदारी को मज़बूत करता है। यह बहु-क्षेत्रीय चुनौतियों (जैसे हाई-एल्टीट्यूड वाले युद्ध, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध) के लिए तैयारी को बढ़ाता है।
2004 में शुरू हुआ ‘युद्ध अभ्यास’ हर साल आयोजित किया जाता है। इसका 20वाँ संस्करण जो कि पिछले साल राजस्थान के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में आयोजित किया गया था।
दोनों देशों के कौन से दल हैं शामिल ?
मद्रास रेजिमेंट (जो भारत की सबसे पुरानी और सबसे जांबाज़ रेजिमेंटों में से एक है) की एक बटालियन के कार्मिकों से युक्त भारतीय दल, अमेरिका की 11वीं एयरबोर्न डिवीजन की आर्कटिक वोल्व्स ब्रिगेड कॉम्बैट टीम की पहली बटालियन, 5वीं इन्फैंट्री रेजिमेंट “बॉबकैट्स” के सैनिकों के साथ ट्रेनिंग लेगा। इस बार भारतीय दल में 400 से ज़्यादा सैनिक हैं, जो अब तक का सबसे बड़ा दल है।
अलास्का के ठंडे मौसम में प्रशिक्षण में माहिर अमेरिकी सैनिकों को भारत के पहाड़ी इलाकों जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। दोनों पक्षों के सब्जेक्ट-मैटर एक्सपर्ट्स ग्रुप बनाकर UAS (अनमैन्ड एरियल सिस्टम्स), काउंटर-UAS, इंफॉर्मेशन वॉरफेयर, कम्युनिकेशन और लॉजिस्टिक्स पर चर्चा करेंगे। 1 सितंबर को भारतीय सैनिक अलास्का पहुँच चुके हैं और अभ्यास एक समारोह के साथ शुरू हुआ।
क्या है अभ्यास की प्रक्रिया ? (Process of Training)
इस संस्करण में विभिन्न अभ्यास शामिल हैं जैसे, “हेलीबोर्न ऑपरेशन (हेलीकॉप्टरों से उतरना और हमला करना), सर्विलांस रिसोर्सेस और अनमैन्ड एरियल सिस्टम्स (ड्रोन) का उपयोग, रॉक क्राफ्ट (चट्टानों पर युद्ध), माउंटेन वॉरफेयर (पहाड़ी युद्ध), कैजुअल्टी इवैक्यूएशन (घायलों को निकालना), कॉम्बैट मेडिकल एड (युद्ध में प्राथमिक उपचार) और आर्टिलरी, एविएशन व इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम्स का इंटीग्रेटेड इस्तेमाल।”
आखिर में संयुक्त रूप से टैक्टिकल मैन्यूवर्स शामिल होंगे, जिसमें लाइव-फायर अभ्यास से लेकर हाई एल्टीट्यूड वाले युद्ध परिदृश्य शामिल होंगे, जिसका प्राथमिक उद्देश्य यूनाइटेड नेशंस पीसकीपिंग मिशंस की क्षमताओं को बढ़ाना और मल्टी-डोमेन चुनौतियों के लिए तत्परता को मजबूत करना है।
भारत पर अमेरिका के टैरिफ लगाने के बाद भी इस अभ्यास को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है क्यूंकि ये पार्टनरशिप लोकतांत्रिक मूल्यों और सुरक्षा हितों पर आधारित है। यह अभ्यास इंटरऑपरेबिलिटी (सहयोग क्षमता), विश्वास और सौहार्द को बढ़ाएगा।

