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ऐसा हुआ तब जाऊंगी अपने देश…बांग्लादेश वापस जाने पर शेख हसीना ने रख दी ये शर्त; क्या मानेगी यूनुस सरकार?

Sheikh Hasina News: शेख हसीना ने बताया कि वो बांग्लादेश तब लोटेंगी जब वहां पर निष्पक्ष और सहभागी चुनावों के माध्यम से लोकतंत्र बहाल किया जाए.

Published by Shubahm Srivastava

Sheikh Hasina On Bangladesh: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पिछले साल आरक्षण को लेकर हुए बड़े पैमाने पर हिंसक प्रदर्शनों और प्रधानमंत्री आवास पर हमले के बाद देश छोड़कर भारत आ गई थीं. तब से वह दिल्ली में एक अज्ञात स्थान पर रह रही हैं. इसी बीच बांग्लादेश में अगले वर्ष होने वाले आम चुनावों की घोषणा की गई है, लेकिन हसीना की पार्टी अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने के कारण चुनाव प्रक्रिया गंभीर विवादों में घिर गई है.

‘अवामी लीग के बिना कोई भी चुनाव वैध नहीं’

शेख हसीना ने इंडिया टुडे से बातचीत में स्पष्ट कहा कि अवामी लीग को छोड़कर होने वाला कोई भी चुनाव वैध नहीं हो सकता, क्योंकि पार्टी पर प्रतिबंध से लाखों मतदाता अपने अधिकार से वंचित हो जाएंगे. उनके अनुसार यह चुनाव एक अनिर्वाचित सरकार द्वारा तैयार किए गए असंवैधानिक चार्टर के तहत करवाए जा रहे हैं, जो लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों को कमजोर करता है.

उन्होंने दावा किया कि अवामी लीग बांग्लादेश की सबसे पुरानी और मजबूत राजनीतिक ताकत है, जिसे हटाकर स्थिरता और जनमत की वास्तविक अभिव्यक्ति संभव नहीं है.

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‘वापसी तभी संभव, जब देश में लोकतंत्र बहाल होगा’

जब उनसे देश लौटने की इच्छा पूछी गई, तो हसीना ने कहा कि उनकी प्रतिबद्धता अटूट है और उन्होंने जीवन भर बांग्लादेश को बेहतर बनाने के लिए काम किया है. लेकिन उनकी वापसी तभी संभव है जब देश में स्वतंत्र, निष्पक्ष और सहभागी चुनावों के माध्यम से लोकतंत्र बहाल किया जाए और अवामी लीग को राजनीतिक रूप से पुनः स्थापित किया जाए. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह व्यक्तिगत रूप से सत्ता की तलाश में नहीं हैं और न ही उनका परिवार सत्ता का इच्छुक है; उनका एकमात्र उद्देश्य लोकतांत्रिक व्यवस्था की बहाली है.

‘अपने कार्यकाल के दौरान कुछ फैसले संवाद से हो सकते थे हल’

हसीना ने यह स्वीकार किया कि अपने कार्यकाल के दौरान कुछ फैसलों को बेहतर संवाद के माध्यम से हल किया जा सकता था, खासकर आरक्षण से जुड़ी शिकायतों को. उन्होंने माना कि सरकार के पास ऐसे मुद्दों को सुलझाने के तंत्र मौजूद थे और उनके उपयोग में और तेजी लाई जा सकती थी.

आरक्षण विवाद से शुरू हुई हिंसा ने उनके शासन को अस्थिर कर दिया था, जिसके बाद उन्हें प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा. फिलहाल बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस नई सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं, जबकि हसीना भारत में निर्वासन जैसी स्थिति में रह रही हैं.

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