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क्या भारत को धोखा दे रहा रूस? दोस्त के दुश्मन से किया अरबों डॉलर का डील, जानें इसका क्या होगा असर

इस डील की अनुमानित लागत 2.6 अरब डॉलर (तकरीबन 22,000 करोड़ रुपये) है, जिसे पाक की इकॉनमी में एक बड़ा निवेश माना जा रहा है। इस परियोजना से न केवल स्थानीय स्तर पर इस्पात उत्पादन में बढ़ोतरी होगी, बल्कि निर्यात क्षमता भी बढ़ेगी, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार में भी वृद्धि होगी।

Published by Ashish Rai

Russia Pakistan Signs Billion Dollar Deal: रूस ने आखिरकार पाकिस्तान के साथ एक अहम व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। कई महीनों से इस पर अटकलें लगाई जा रही थीं। अब शुक्रवार को पाकिस्तान और रूस ने संयुक्त रूप से इस समझौते की घोषणा की है, जिसके तहत कराची में एक अत्याधुनिक स्टील मिल स्थापित की जाएगी। इस परियोजना को दोनों देशों के बीच आर्थिक और औद्योगिक सहयोग के एक नए युग की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। इस समझौते से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को अरबों रुपये का लाभ होने के साथ-साथ औद्योगिक विकास और रोज़गार सृजन में भी महत्वपूर्ण योगदान मिलने की उम्मीद है।

शुक्रवार को मॉस्को स्थित पाकिस्तानी दूतावास में आयोजित एक समारोह में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस पर पाकिस्तान के उद्योग एवं उत्पादन मंत्रालय के सचिव सैफ अंजुम और रूस के औद्योगिक इंजीनियरिंग एलएलसी के महानिदेशक वादिम वेलिचको ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर पाक प्रधानमंत्री के विशेष सहायक हारून अख्तर खान और रूस में पाकिस्तान के राजदूत मुहम्मद खालिद जमाली भी मौजूद थे।

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क्या है रूस-पाकिस्तान समझौता? जानिए

 रिपोर्ट के मुताबिक, रूस ने पहली बार आधिकारिक तौर पर पुष्टि की है कि उसने कराची में एक नई स्टील मिल स्थापित करने के लिए पाक के साथ एक समझौते को अंतिम रूप दे दिया है। यह परियोजना पाकिस्तान स्टील मिल्स (पीएसएम) के नवीनीकरण और आधुनिकीकरण का हिस्सा है, जो लंबे समय से आर्थिक और प्रबंधकीय चुनौतियों का सामना कर रही है। एक बयान में, वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारी हारून अख्तर खान ने कहा, “रूस के साथ यह समझौता पाकिस्तान स्टील मिल्स की प्रगति और औद्योगिक भविष्य के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। यह परियोजना न केवल औद्योगिक उत्पादन को बढ़ाएगी, बल्कि हजारों लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगी।”

इस समझौते के तहत, PSM को न केवल पुनर्जीवित किया जाएगा, बल्कि कराची में 700 एकड़ भूमि पर एक नया अत्याधुनिक स्टील प्लांट भी स्थापित किया जाएगा। इस परियोजना में रूस की उन्नत इस्पात निर्माण तकनीक का उपयोग किया जाएगा, जिससे पाक की इस्पात आयात पर निर्भरता 30% तक कम होने की उम्मीद है। मालूम हो, पाकिस्तान हर वर्ष लगभग 2.7 अरब डॉलर मूल्य का इस्पात और लोहा आयात करता है, और देश में इस्पात की मांग और आपूर्ति के बीच 31 लाख टन का अंतर है। इस नए संयंत्र से न केवल आयात बिल में कमी आएगी बल्कि स्थानीय रोजगार के मौके भी बढ़ेंगे।

पाकिस्तान की जीडीपी को होगा फ़ायदा

इस डील की अनुमानित लागत 2.6 अरब डॉलर (तकरीबन 22,000 करोड़ रुपये) है, जिसे पाक की इकॉनमी में एक बड़ा निवेश माना जा रहा है। इस परियोजना से न केवल स्थानीय स्तर पर इस्पात उत्पादन में बढ़ोतरी होगी, बल्कि निर्यात क्षमता भी बढ़ेगी, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार में भी वृद्धि होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस सौदे से लंबी अवधि में पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को अरबों रुपये का फायदा हो सकता है।

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इसके अलावा, नई स्टील मिल के निर्माण और संचालन से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हज़ारों रोज़गार सृजित होंगे। ख़ासकर कराची जैसे औद्योगिक केंद्र में, यह परियोजना स्थानीय युवाओं और तकनीकी विशेषज्ञों के लिए नए अवसर लेकर आएगी। इससे न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि औद्योगिक क्षेत्र में तकनीकी नवाचार को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, यह समझौता पाकिस्तान और रूस के बीच गहरे होते द्विपक्षीय संबंधों का एक हिस्सा है। हाल के वर्षों में दोनों देश ऊर्जा क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ा रहे हैं, जिसमें पाकिस्तान स्ट्रीम गैस पाइपलाइन और 2023 में शुरू होने वाली कच्चे तेल की आपूर्ति शामिल है।

भारत के साथ तनाव के बीच हुआ समझौता

यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब क्षेत्रीय भू-राजनीति तेज़ी से बदल रही है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद, भारत ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकवादियों के सफाए के लिए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था। जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनातनी शुरू हो गई। इस संबंध में, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि रूस के इस कदम से भारत के साथ उसके पारंपरिक संबंधों पर असर पड़ सकता है। हालाँकि, रूस पहले भी ऐसी रिपोर्टों को खारिज कर चुका है, जिनमें इसे भारत के साथ उसके संबंधों को कमज़ोर करने वाला बताया गया है।

रूस-पाकिस्तान संबंधों में नया मोड़

पाकिस्तान स्टील मिल्स की स्थापना 1973 में तत्कालीन सोवियत संघ की सहायता से हुई थी और यह कभी देश का सबसे बड़ा औद्योगिक परिसर हुआ करता था। मिल का संचालन 1985 में शुरू हुआ था, हालाँकि वित्तीय कुप्रबंधन, बुनियादी ढाँचे की कमी और अन्य प्रशासनिक समस्याओं की वजह से 2015 में इसे पूरी तरह से बंद कर दिया गया।

चुनौतियाँ भी कम नहीं

हालाँकि यह सौदा पाकिस्तान के लिए आशाजनक है, लेकिन विशेषज्ञों ने कुछ चुनौतियों की ओर भी इशारा किया है। पाकिस्तान स्टील मिल्स का प्रबंधकीय अक्षमता और वित्तीय घाटे का इतिहास रहा है। इस परियोजना को सफल बनाने के लिए पारदर्शी प्रबंधन, तकनीकी विशेषज्ञता और निरंतर निवेश की आवश्यकता होगी। इसके बावजूद, अधिकारियों का लक्ष्य दो साल के भीतर संयंत्र को चालू करना है। पाकिस्तान सरकार ने नए संयंत्र के लिए पीएसएम की 19,000 एकड़ भूमि में से 700 एकड़ भूमि और एक औद्योगिक पार्क के लिए अतिरिक्त भूमि आवंटित की है। इसके लिए वित्तपोषण निजी क्षेत्र की भागीदारी और पीएसएम की संपत्तियों के पुन: उपयोग के माध्यम से किया जाएगा।

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