Robbery in Paris: पेरिस के मशहूर लुव्र में हुई डकैती ने दुनिया को झकझोर कर रख दिया है. लुटेरों ने सिर्फ़ सात मिनट में बेशकीमती गहने चुरा लिए और फरार हो गए. इस म्यूजियम में चोरी की घटनाएं दुर्लभ है. क्योंकि इसकी सुरक्षा देश के जाने-माने कमांडो के हाथों में है. पुलिस जांच से जो जानकारी सामने आई है. वह और भी चौंकाने वाली है. पुलिस के अनुसार लुटेरे म्यूजियम खुलने से कुछ मिनट पहले ही बाहर से एक लिफ्ट जैसे उपकरण का इस्तेमाल करके म्यूजियम में दाखिल हुए. उन्होंने एक खिड़की तोड़ी अंदर घुसे और फिर भाग गए.
पुलिस ने बताया
पुलिस के अनुसार, लुटेरों का लक्ष्य किसी भी तरह पहली मंजिल तक पहुंचना था. उन्हें शायद पता था कि वहां फ्रांसीसी शाही रत्न रखे है. इसलिए उन्होंने पहली मंजिल तक पहुंचने के लिए एक प्रकार की मशीनीकृत लिफ्ट का इस्तेमाल किया. यह बास्केट लिफ्ट किसी ट्रक या लॉरी पर लगी होती थी. इस तरह वे ऊपर की खिड़की से अंदर घुसे. गृह मंत्री लॉरेंट नून्स ने बताया कि लुटेरे चार डिस्प्ले केस खोलने में कामयाब रहे और फिर मोटरसाइकिल पर सवार होकर भाग गए. फ्रांसीसी संस्कृति मंत्री रचिदा दाती ने फ्रांसीसी टीवी को बताया कि भागने की जल्दी में उन्होंने कई वस्तुएं गिरा दी. जिससे पता चलता है कि वे पूरी योजना बनाकर वहां मौजूद थे.
किस रास्ते से आए
इस म्यूजियम के दक्षिणी हिस्से में फ़्रांस के राजमुकुट रत्न रखे है. अपोलो गैलरी जिसे लुटेरा ने निशाना बनाया था. में फ़्रांसीसी राजमुकुट के बचे हुए रत्न रखे है. लोग इन रत्नों को देखने आते है. फ़्रांसीसी क्रांति के बाद ये रत्न या तो खो गए या बेच दिए गए. लेकिन कुछ कीमती वस्तुएं बच गई. वहां रखी वस्तुओं में क्रांति के बाद सम्राट नेपोलियन उनके भतीजे नेपोलियन तृतीय और उनकी पत्नियों, महारानी मैरी-लुईस और यूजिनी के लिए खरीदी गई वस्तुएं भी शामिल थी. लुव्र की वेबसाइट के अनुसार गैलरी की सबसे मूल्यवान वस्तुएं तीन हीरे थे जिन्हें रीजेंट, सैंसी और हॉर्टेंसिया के नाम से जाना जाता है.
यह म्यूजियम क्यों खास
लुव्र में चोरी दुर्लभ है. लेकिन पहले भी ऐसी घटनाएं घट चुकी है. सबसे प्रसिद्ध घटना 1911 में हुई थी. जब लियोनार्डो दा विंची की उत्कृष्ट कृति, मोना लिसा, यहां से चोरी हो गई थी. कवि गिलौम अपोलिनेयर और चित्रकार पाब्लो पिकासो दोनो से पुलिस ने पूछताछ की थी. हालांकि चोर एक इतालवी निकला जो देशभक्ति से इतना भरा हुआ था कि किसी भी कीमत पर अपने देश की पेंटिंग वापस पाना चाहता था. तीन साल बाद पेंटिंग फ्लोरेंस में मिली और पेरिस वापस भेज दी गई. उस समय यह आज जितनी प्रसिद्ध नहीं थी. इसके अलावा 16वीं सदी के कुछ कवच 1983 में गायब हो गए थे. जिन्हें 2011 में फिर से खोजा गया. हाल ही में 19वीं सदी की कलाकार केमिली कोरोट की एक पेंटिंग 1998 में चोरी हो गई थी. ले चेमिन डे सेव्रेस (सेव्रेस रोड) को बिना किसी की नज़र लगे दीवार से हटा दिया गया था. इस चोरी के बाद सुरक्षा के कड़े कदम उठाए गए. पेंटिंग कभी नहीं मिली.

