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पाकिस्तान में सेना बनाम संविधान, मुनीर के खिलाफ जनता सड़कों पर, विपक्ष ने शहबाज सरकार को दी खुली चेतावनी

Pakistan Latest News: विपक्ष ने कहा कि लोकतंत्र अमर रहे और तानाशाही मुर्दाबाद जैसे नारों के साथ आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक संशोधन वापस नहीं लिया जाता.

Published by Shubahm Srivastava

Pakistan Constitutional Amendment: पड़ोसी देश पाकिस्तान में रविवार को विपक्षी दलों ने देशभर में व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं, क्योंकि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार एक विवादास्पद 27वें संविधान संशोधन विधेयक को पारित करने की दिशा में आगे बढ़ रही है. इस संशोधन में सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर को और अधिक संवैधानिक अधिकार देने, संघीय संवैधानिक न्यायालय (FCC) की स्थापना करने और राष्ट्रपति को आजीवन उन्मुक्ति प्रदान करने जैसे बड़े बदलाव शामिल हैं.

असीम मुनीर के खिलाफ विपक्ष ने खोला मोर्चा

संशोधन के तहत नया संयुक्त रक्षा बल प्रमुख (CDF) पद बनाया जाएगा, जिसके पास तीनों सेनाओं — थल, नौसेना और वायुसेना — का संवैधानिक नियंत्रण होगा. विपक्ष का कहना है कि यह कदम सेना को “संविधान से ऊपर” रख देगा और लोकतांत्रिक ढांचे को कमजोर करेगा. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के नेताओं ने आरोप लगाया कि असीम मुनीर अपने खिलाफ संभावित मुकदमों से बचने के लिए खुद को आजीवन सुरक्षा कवच दे रहे हैं.

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न्यायालय से भी ऊपर हो जाएगी मुनीर की शक्तियां

संशोधन में प्रस्तावित संघीय संवैधानिक न्यायालय, सुप्रीम कोर्ट की कई शक्तियां अपने हाथ में ले लेगा — जैसे संवैधानिक व्याख्या और संघीय-प्रांतीय विवादों का निपटारा. इससे सुप्रीम कोर्ट की भूमिका केवल दीवानी और आपराधिक अपीलों तक सीमित रह जाएगी. कानूनी विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इससे पाकिस्तान की न्यायपालिका संविधान से अप्रासंगिक हो जाएगी और सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च जिला न्यायालय बनकर रह जाएगा.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह संशोधन पाकिस्तान की सत्ता-संरचना को जनरल जिया-उल-हक के आठवें संशोधन की तरह ही बदल सकता है, जिसने अंततः लोकतंत्र को कमजोर किया था.

संशोधन वापस लेने पर अड़ा विपक्ष

विपक्षी गठबंधन तहरीक-ए-तहाफुज आईन-ए-पाकिस्तान (TTAP) ने पूरे देश में विरोध अभियान की घोषणा की है. इसमें एमडब्ल्यूएम, पीटीआई, पीकेएमएपी, बीएनपी-मेंगल और एसआईसी जैसे दल शामिल हैं.

नेताओं ने कहा कि “लोकतंत्र अमर रहे” और “तानाशाही मुर्दाबाद” जैसे नारों के साथ आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक संशोधन वापस नहीं लिया जाता. इस बीच, सीनेट ने विधेयक पर चर्चा शुरू कर दी है और सरकार को दो-तिहाई बहुमत मिलने की उम्मीद है, जिससे आने वाले दिनों में राजनीतिक तनाव और बढ़ने की आशंका है.

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