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IT कंपनियों को अमेरिका से काम मिलना होगा बंद? Laura Loomer के सोशल मीडिया पोस्ट से भारत में हलचल

Donald Trump की करीबी लॉरा लूमर ने भारत से कॉल सेंटर्स वापस लाने की बात कही है। क्या इससे भारत की 283 अरब डॉलर की IT इंडस्ट्री खतरे में है?

Published by Shivani Singh

डोनाल्ड ट्रंप की करीबी मानी जाने वाली कार्यकर्ता लॉरा लूमर के एक सोशल मीडिया पोस्ट ने हलचल मचा दी है। उन्होंने सीधे तौर पर अमेरिका के कॉल सेंटर्स को भारत से वापस लाने का दावा कर रही हैं और “मेक कॉल सेंटर्स अमेरिकन अगेन” जैसे नारे लगा रही हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत की 283 अरब डॉलर की IT इंडस्ट्री पर अमेरिकी राजनीति का असर पड़ने वाला है? आइए जानते हैं पूरा मामला क्या है?

भारत पर 50% टैरिफ लगाने के बाद, डोनाल्ड ट्रंप अब सोच रहे हैं कि अमेरिका की कंपनियाँ अब भारत जैसी जगहों पर अपना काम (जैसे कस्टमर सर्विस, कॉल सेंटर, तकनीकी सहायता आदि) आउटसोर्स न करें। दरअसल अमेरिकी कार्यकर्ता और ट्रंप की करीबी मानी जाने वाली लॉरा लूमर ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दावा किया है 

लूमर ने अपने पोस्ट में लिखा

दरअसल लूमर ने अपने पोस्ट में लिखा है कि “अभी-अभी: राष्ट्रपति ट्रंप अब अमेरिकी आईटी कंपनियों को अपना काम भारतीय कंपनियों को आउटसोर्स करने से रोकने पर विचार कर रहे हैं। दूसरे शब्दों में, अब आपको अंग्रेज़ी के लिए 2 दबाने की ज़रूरत नहीं है। कॉल सेंटरों को फिर से अमेरिकी बनाएँ!”

लूमर भारत के कॉल सेंटर्स का ज़िक्र कर रही थीं, जहाँ से अमेरिकी कंपनियों को सस्ते में ग्राहक सहायता प्रदान की जाती है। उन्होंने इसे “मेक कॉल सेंटर्स अमेरिकन अगेन” का नारा दिया, यानी उन्होंने कॉल सेंटर्स को वापस अमेरिका लाने की बात कही।

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गूगल और अमेज़न समेत कई अमेरिकी कंपनियाँ भारत से आउटसोर्स करती हैं। माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, अमेज़न, आईबीएम, सिस्को और ओरेकल जैसी कई बड़ी अमेरिकी टेक कंपनियाँ भारत में मौजूद हैं और आउटसोर्सिंग करती हैं। ये कंपनियाँ भारत में अपने विकास केंद्र, अनुसंधान केंद्र और कॉल सेंटर चलाती हैं।

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भारत से आउटसोर्सिंग के 3 मुख्य कारण

  1. कम लागत: भारत में श्रम लागत अमेरिका की तुलना में बहुत कम है, जो अमेरिकी कंपनियों के लिए फायदेमंद है।
  2. कुशल कार्यबल: भारत में हर साल लाखों इंजीनियर और तकनीकी पेशेवर स्नातक होते हैं, जो कुशल होते हैं और अच्छी सेवाएँ प्रदान करते हैं।
  3. अच्छा आईटी उद्योग: भारत में टीसीएस, इंफोसिस और विप्रो जैसी कंपनियाँ वैश्विक स्तर पर स्थापित हैं और विश्वसनीय सेवाएँ प्रदान करती हैं।

ट्रंप प्रशासन और टैरिफ के डर से भारत का आईटी उद्योग प्रभावित हो सकता है: हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकारों ने विदेशी आउटसोर्सिंग और दूरस्थ कर्मचारियों पर टैरिफ लगाने की बात कही है। इससे भारत का 283 अरब डॉलर का आईटी उद्योग प्रभावित हो सकता है, क्योंकि यह उद्योग अमेरिका पर बहुत अधिक निर्भर है। इससे भारतीय पेशेवरों के लिए नौकरियाँ कम हो सकती हैं।

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Shivani Singh
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