Quad summit india 2025: डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी के बीच टेलीफोन पर हुई बहस के बाद, डोनाल्ड ट्रंप का इस साल भारत आने का कोई इरादा नहीं है। अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स (NYT) ने 12 भारतीय और अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से यह खुलासा किया है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने यह भी खुलासा किया है कि 17 जून को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच टेलीफोन पर बातचीत हुई थी। इस दरम्यान ट्रंप ने भारत से पाकिस्तान की तरह उन्हें भी नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट करने की मांग की थी, जिससे भारतीय प्रधानमंत्री नाराज हो गए थे।
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NYT ने कहा है कि टेलीफोन पर भारतीय नेता ने ट्रंप से दो टूक कहा था कि मई में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्धविराम समझौते से अमेरिका और ट्रंप का कोई लेना-देना नहीं है। हालाँकि ट्रंप ने मोदी से टेलीफोन पर यह ज़रूर कहा था कि वह इस साल के अंत में भारत में होने वाले क्वाड शिखर सम्मेलन के लिए दिल्ली आएंगे, लेकिन अब उनका भारत आने का कोई इरादा नहीं है। ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है।
क्या अब क्वाड का कोई भविष्य नहीं है?
न्यूयॉर्क टाइम्स ने दावा किया है कि डोनाल्ड ट्रंप नोबेल शांति पुरस्कार के लिए प्रचार कर रहे हैं। हालाँकि भारतीय नेता द्वारा उन्हें नॉमिनेट करने से इनकार करने के बाद उनका अभियान विफल हो गया है। हालाँकि पाकिस्तान ने उन्हें नॉमिनेट किया है। फिर भी भारत का इनकार उनके दावे को कमजोर करता है। इसके बाद ही ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया। अमेरिकी टैरिफ का भारत की अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ने की आशंका है। अमेरिका को भारत का निर्यात सालाना लगभग 85 अरब डॉलर का है। इस पर 50% टैरिफ लगाने से भारतीय कंपनियों को अरबों डॉलर का नुकसान होगा। भारत ने फिलहाल चुप्पी साधे रखी है और वैकल्पिक बाजारों की तलाश कर रहा है, लेकिन यह स्पष्ट है कि अब रणनीतिक साझेदारी पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
अगर अमेरिकी राष्ट्रपति भारत नहीं आते हैं, तो न सिर्फ़ इस वर्ष होने वाला क्वाड शिखर सम्मेलन स्थगित हो जाएगा, बल्कि क्वाड के भविष्य पर भी गंभीर प्रश्न चिन्ह उठेंगे। भारत और अमेरिका के अलावा, क्वाड में ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे देश भी सम्मिलित हैं। बता दें, क्वाड का गठन साल 2007 में हुआ था और इसे 2017 में फिर से सक्रिय किया गया था। इसका मकसद हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता का मुकाबला करना है। लेकिन ट्रंप के टैरिफ़ ने इसे करारा झटका दिया है। मौजूदा हालात को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि क्वाड का भविष्य अब ख़तरे में है।
ऑस्ट्रेलिया और जापान भी अमेरिका से नाराज़
महज भारत ही नहीं, ट्रंप के टैरिफ़ का असर ऑस्ट्रेलिया और जापान पर भी पड़ा है। ऑस्ट्रेलिया क्वाड का एक अहम स्तंभ है, जो बीते कुछ वर्षों में चीन की आक्रामक व्यापार नीतियों से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। हालाँकि, घरेलू आर्थिक चुनौतियों और मंदी की आशंकाओं ने ऑस्ट्रेलिया को चीन के साथ समझौता करने पर विवश कर दिया है। हाल के महीनों में ऑस्ट्रेलिया और चीन के मध्य 200 अरब डॉलर से ज़्यादा के व्यापार समझौते फिर से सक्रिय हुए हैं। ऐसे में अब कैनबरा के लिए क्वाड के प्रति अपनी प्रतिबद्धता बनाए रखना बेहद मुश्किल हो गया है।
वहीं, क्वाड का तीसरा अहम सदस्य जापान भी ट्रंप की व्यापार नीतियों से खुश नहीं है। हाल ही में अमेरिका ने जापानी ऑटोमोबाइल और तकनीकी उत्पादों पर 20% टैरिफ लगाया है, जिससे टोक्यो और वाशिंगटन के संबंधों में तनाव पैदा हो गया है। मोदी की टोक्यो यात्रा से ठीक पहले जापान ने अपने व्यापार प्रतिनिधिमंडल की अमेरिका यात्रा रोक दी। वहीं, जापान ने भारत के साथ अपने रणनीतिक संबंधों को और मज़बूत करने का फ़ैसला किया है। टोक्यो ने हाल ही में भारत में 42 अरब डॉलर के बुनियादी ढाँचे में निवेश की घोषणा की है और रक्षा सहयोग को नई ऊँचाइयों पर ले जाने की योजना भी बनाई है। ऐसे में क्वाड के भविष्य पर ख़तरे के बादल मंडरा रहे हैं।

