Begum Khaleda Zia Death: बांग्लादेश से इस समय बड़ी खबर सामने आ रही है. दरअसल, बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी पार्टी की नेता और पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया का निधन हो गया है. आपकी जानकारी के लिए बता दें ,वो 80 साल की थीं और लंबे समय से बीमार थीं. खास बात ये है कि ये दो बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रह चुकी हैं, पहली बार 1991 से 1996 तक और फिर 2001 से 2006 तक. इतना ही नहीं वो बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री भी थीं. उनके पति जियाउर रहमान थे, जो बांग्लादेश के मिलिट्री शासक और राष्ट्रपति थे, जिन्होंने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की स्थापना की थी. 1981 में उनकी हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद बेगम खालिदा जिया ने पार्टी की कमान संभाली. अब उनके बेटे तारिक रहमान पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं. वह हाल ही में 17 साल विदेश में रहने के बाद बांग्लादेश लौटे हैं. वह BNP के कार्यकारी अध्यक्ष हैं.
बखूबी संभाली बांग्लादेश की कमान
शेख हसीना से पहले खालिदा ज़िया ने दो बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया और वहां की कमान को बखूबी संभाला भी. वहीं वो पहली बार 1991 से 1996 तक और दूसरी बार 2001 से 2006 तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं। अगर बात करें उनके कार्य की तो उनके नेतृत्व में बांग्लादेश में संसदीय लोकतंत्र को मजबूती मिली और कई आर्थिक और सामाजिक सुधारों पर काम हुआ। इतना ही नहीं बल्कि वो लंबे समय तक शेख हसीना की राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी रहीं, जिससे बांग्लादेश की राजनीति दो बड़े ध्रुवों में बंटी रही।
कई समय से थीं बीमार
वहीं अगर इनके राजनीतिक जीवन की बात की जाए तो खालिदा ज़िया को कई विवादों और कानूनी मामलों का सामना भी करना पड़ा। स्वास्थ्य कारणों और कानूनी चुनौतियों के चलते हाल के वर्षों में वे सक्रिय राजनीति से दूर रही हैं। इसके बावजूद, वे आज भी बांग्लादेश की राजनीति में एक प्रभावशाली और ऐतिहासिक नेता मानी जाती रही हैं, जिनका देश की लोकतांत्रिक यात्रा में अहम योगदान रहा है।
खालिदा के भारत से रिश्ते
खालिदा के शासनकाल (खासकर 2001–2006) में सीमा विवाद, अवैध घुसपैठ, उग्रवाद और सुरक्षा सहयोग जैसे मुद्दों पर भारत और बांग्लादेश के बीच खटास पड़ी रही। एक तरफ भारत की यह चिंता रही कि बांग्लादेश की ज़मीन का इस्तेमाल भारत-विरोधी उग्रवादी समूह कर रहे हैं, दूसरी तरफ खालिदा ज़िया की सरकार ने इन आरोपों को अक्सर खारिज किया। इसी वजह से दोनों देशों के बीच थोड़ा बहुत तनाव बना रहा. लेकिन यह भी सच है कि खालिदा ज़िया ने भारत के साथ रिश्ते पूरी तरह खराब नहीं होने दिए। कूटनीतिक स्तर पर संवाद जारी रहा और व्यापार और सांस्कृतिक संबंध बने रहे। कुल मिलाकर, उनके कार्यकाल में भारत–बांग्लादेश संबंध सहयोग से ज़्यादा सावधानी और दूरी के रूप में देखे गए, जबकि बाद के वर्षों में अन्य सरकारों के समय रिश्तों में ज्यादा नज़दीकी दिखाई दी।

