B-2 Bomber Stealth Detection: इस साल जून महीने में इजरायल-ईरान जंग के बीच उस वक्त खाड़ी देशों में हड़कंप मच गया, जब ये खबर सामने आई कि अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर बम बरसाए हैं। इस कार्रवाई में अमेरिका ने अपने सबसे उन्नत स्टील्थ B-2 बमवर्षकों का इस्तेमाल किया। इस विमान को लेकर कई सवाल लोगों के मन में पहले भी आते रहे हैं। जैसे कि क्या सैटेलाइट B-2 बमवर्षक विमानों को डिटेक्ट कर सकती हैं या नहीं? चलिए जानते हैं।
बता दें कि सैटेलाइट पृथ्वी पर कई वस्तुओं का पता लगा सकते हैं, लेकिन B-2 बमवर्षक को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि उसे पहचानना मुश्किल हो। इसकी उन्नत स्टील्थ तकनीक इसके रडार और ऊष्मा संकेतों को कम करने में मदद करती है, जिससे अंतरिक्ष से इसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
B-2 का पता लगा पाना मुश्किल काम?
B-2 बमवर्षक में उड़ने वाले पंखों का आकार और विशेष कोटिंग होती है जो रडार संकेतों को अवशोषित करती है, इसलिए यह रडार प्रणालियों में बहुत कम दिखता है। इसकी कोई पूंछ भी नहीं है, जिससे इसका रडार सिग्नल छोटा हो जाता है।
इसके अलावा बमवर्षक के इंजन सबसे ऊपर लगे होते हैं, और ऊष्मा या ऊष्मा के सिग्नल को कम करने के लिए निकास गैसों को ठंडा किया जाता है। इससे इन्फ्रारेड सेंसर से बचने में मदद मिलती है जिनका उपयोग सैटेलाइट विमानों का पता लगाने के लिए कर सकते हैं।
B-2 के सामने फेल हैं सैटेलाइट!
बता दें कि उपग्रह रडार, इन्फ्रारेड, ऑप्टिकल कैमरे और अन्य सेंसर का उपयोग करके पृथ्वी को स्कैन कर सकते हैं। कुछ सेंसर बेहद मंद संकेतों और गतिविधियों का पता लगा सकते हैं, लेकिन B-2 की स्टील्थ विशेषताएँ इन सिग्नल को कम कर देती हैं। उपग्रह की कमजोरी ये भी होती है कि अधिकांश उपग्रहों के विशिष्ट पथ और दृश्य क्षेत्र होते हैं, इसलिए बमवर्षक को हमेशा नहीं देखा जा सकता।
इसके अलावा B-2 का खासियत है कि वो उन क्षेत्रों में उड़ान भर सकता है जहाँ उपग्रहों की पहुँच सीमित है या पता लगने से बचने के लिए तेज़ी से आगे बढ़ सकता है।
ऐसे पकड़ा जा सकता है B-2
बता दें कि बी-2 बमवर्षक अदृश्य नहीं है, लेकिन इसकी उन्नत स्टील्थ तकनीक इसे उपग्रहों से ज़्यादातर छिपाए रखती है। इसका पता लगाने के लिए कम संकेतों के लिए अनुकूलित, परिष्कृत, अगली पीढ़ी के सेंसर की आवश्यकता होगी। लेकिन अगर बमवर्षक में लगा उसका स्टील्थ क्षतिग्रस्त या घिसी हुई है, तो उसके रडार और तापीय संकेत बढ़ जाते हैं, जिससे उसका पता लगाना आसान हो जाता है।
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