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Viral video: ऑफिस में ओवरवर्क का खुला विरोध, शताक्षी पांडे का वीडियो हो रहा वायरल, मैनेजर को सुनाई खरी-खोटी

Viral video: शताक्षी पांडे का ओवरवर्क और टॉक्सिक वर्क कल्चर पर बेबाक बयान वायरल। जानें कैसे उन्होंने मैनेजर को जवाब देकर वर्क-लाइफ़ बैलेंस पर नई बहस छेड़ दी।

Published by Shivani Singh

Viral video: हाल ही में सोशल मीडिया पर वर्क-लाइफ़ बैलेंस और टॉक्सिक वर्क कल्चर को लेकर बहस तेज हो गई है। कुछ लोग ओवरवर्क को सफलता का ज़रिया मानते हैं, तो वहीं कई लोग इसे ज़िंदगी की गुणवत्ता के खिलाफ बताते हैं। इस बीच, इंस्टाग्राम यूज़र शताक्षी पांडे का एक वीडियो इंटरनेट पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने दफ्तरों में ओवरवर्क को लेकर अपना साफ और बेबाक नजरिया रखा है।

ऑफिस में ‘थोड़ा और काम’ का दबाव

वीडियो में शताक्षी पांडे ने हाल ही में अपने कार्यस्थल पर घटी एक घटना साझा की। वह बताती हैं कि जब वह समय पर ऑफिस से निकलने लगीं तो उनके रिपोर्टिंग मैनेजर ने कहा— “थोड़ा सा और काम है, कर दो।” इस पर उन्होंने साफ जवाब दिया— “नहीं सर, आज मुझे समय पर निकलना है।”

शताक्षी ने स्पष्ट किया कि वह जल्दी नहीं, बल्कि ठीक समय पर निकल रही थीं और अपने तय वर्किंग ऑवर्स पूरे कर चुकी थीं। उन्होंने कहा कि उस दिन वह उपवास पर थीं, इसलिए अतिरिक्त समय रुकना संभव नहीं था।

मैनेजर का उदाहरण और जवाब

इस पर उनके मैनेजर ने अपना उदाहरण देते हुए कहा— “मैं कल रात ट्रेन में था, सुबह 7 बजे पहुंचा, 7:30 बजे ऑफिस आ गया और अब तक (शाम 6:30) यहीं हूं।” इसके बाद उन्होंने शताक्षी को जाने की अनुमति दी, लेकिन इस मानसिकता पर सवाल खड़े हो गए।

शताक्षी का सख्त संदेश

शताक्षी ने वीडियो में कहा—

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“इंसान दो वक्त की रोटी कमाने के लिए काम करता है, लेकिन अगर वह रोटी चैन से नहीं खा सकता, तो मेहनत का क्या मतलब? मैं इस सोच को रोमांटिक बनाने के खिलाफ हूं। नौकरी चली जाए तो भी मुझे फर्क नहीं पड़ता, लेकिन मैं ऐसे माहौल को स्वीकार नहीं करूंगी।”

https://www.instagram.com/reel/DM7yHkth_DT/?utm_source=ig_embed&ig_rid=ba378a18-2660-4177-a401-ef138ea5e804

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया

उनकी पोस्ट को अब तक करीब तीन मिलियन व्यूज़ मिल चुके हैं। कई यूज़र्स ने उनकी तारीफ करते हुए लिखा— “ओवरवर्क कोई गर्व की बात नहीं, यह शोषण है।” एक अन्य ने कहा— “Gen Z लोग अपने हक जानते हैं और उन्हें जताने से नहीं डरते।”

हालांकि, कुछ लोग इससे असहमत भी नजर आए। एक यूज़र ने लिखा— “सीनियर पद सिर्फ समय पर जाने के बारे में नहीं, बल्कि जिम्मेदारियों के बारे में होते हैं।” वहीं, दूसरे ने कहा— “आज के प्रतिस्पर्धी माहौल में, अगर आप नहीं करेंगे तो कोई और कर देगा।”

बहस का सार

यह मामला फिर साबित करता है कि वर्क-लाइफ़ बैलेंस और टॉक्सिक वर्क कल्चर पर बहस सिर्फ एक ऑफिस तक सीमित नहीं, बल्कि व्यापक स्तर पर हो रही है। जहां एक पीढ़ी अतिरिक्त घंटे को सफलता का पैमाना मानती है, वहीं नई पीढ़ी मानसिक स्वास्थ्य और व्यक्तिगत समय को उतना ही महत्व देती है।

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