Jewar Airport: जेवर में बनने वाले नोएडा इंटरनेशनल हवाई अड्डे का सपना अब साकार होने के करीब है. बिजली, पानी और ईंधन आवश्यकता से लेकर सुरक्षा तक 10 बड़े काम पूरी हो चुकी हैं. केवल टर्मिनल अपने अंतिम चरण में है और उड़ान की तैयारी चल रही है. अधिकारी ने बताया कि जब 2021 में पहले चरण के तहत हवाई अड्डे की नींव रखी गई थी. तब ये केवल कागज़ों और नक्शों पर ही मौजूद था. सालों साल इस परियोजना पर निगाहें टिकी रही. आज हालत ये है कि रनवे, टैक्सी-वे, बिजली, पानी और सड़क नेटवर्क के साथ-साथ सुरक्षा सहित सभी प्रमुख कार्य पूरे हो चुके है.
उड़ान शुरू होने के बाद ये न केवल दिल्ली-एनसीआर का दूसरा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा होगा. बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में निवेश, पर्यटन और रोज़गार का केंद्र भी बनेगा.
जल्द शुरू होगी (will start soon)
3,900 मीटर लंबे रनवे की गुणवत्ता का परीक्षण दिसंबर 2024 में हवाई अड्डे पर इंडिगो एयरलाइंस की एक उड़ान उतारकर किया जा चुका है. वर्तमान में फिलहाल टर्मिनल भवन का काम पूरा हो रहा है. शीशे और अन्य उपकरण लगा दिए गए है और अब फिनिशिंग का काम चल रहा है. पहले चरण में हवाई अड्डे का विकास 1334 हेक्टेयर भूमि पर किया जा रहा है.
ये जरूरी काम पूरे कर चुके है (These essential tasks have been completed)
Runway: एयरपोर्ट का पहला 3900 मीटर लंबा रनवे बनकर तैयार हो चुका है. लाइटिंग और मार्किंग के साथ-साथ नेविगेशन सहायक उपकरण भी लगाए जा चुके है.
Taxiway: विमानों के टर्मिनल तक पहुंचने के लिए टैक्सी-वे बनकर तैयार है. टर्मिनल के पास दो कार्गो स्टैंड सहित 27 विमानों के लिए पार्किंग स्टैंड भी बनाए गए है.
एयर साइड गेट पर एयरोब्रिज: हवाई अड्डे पर दो एयरसाइड गेट बनाए गए है. टर्मिनल से विमान तक यात्रियों की पहुंच के लिए 10 एयरोब्रिज भी लगाए जा चुके हैं.
ATS: एयर ट्रैफिक कंट्रोल में सभी मुख्य रडार सिस्टम स्थापित हो चुके हैं. ये टावर विमान यातायात का प्रबंधन का काम करता है.
Fire fighting systems: एक अत्याधुनिक फायरफाइटिंग सिस्टम स्थापित की गई है. अग्निशमन वाहनों की छत और बंपर पर मॉनिटर लगाए गए है. चालक दल की सुरक्षा के लिए एक केबिन डेल्यूज सिस्टम भी लगाया गया है. टैंक में 12500 लीटर पानी और 1500 लीटर फोम तक समा सकता है. पंप 10 बार प्रेशर पर प्रति मिनट 10000 लीटर पानी छोड़ सकता है.
Fuel: भारत पेट्रोलियम ने फरीदाबाद के प्याला डिपो से हवाई अड्डे के लिए 34 किलोमीटर लंबी भूमिगत ईंधन पाइपलाइन बिछाई है. इससे हवाई अड्डे को विमानन टरबाइन ईंधन की पहुंचाएगी. अन्य वाहनों के लिए पेट्रोल पंप भी बनाया गया है.
बिजली-पानी: एयरपोर्ट पर 13 मेगावाट बिजली पैदा करने के लिए एक सौर संयंत्र स्थापित किया गया है. हवाई अड्डा प्राधिकरण ने पहले ही 623 मेगावाट (4 चरणों) की खपत करने में सक्षम एक पावर बैंक तैयार कर लिया है. फलैदा बांगर में जलापूर्ति के लिए एक हाइड्रो एब्सट्रैक्शन पंप लगाया गया है. इसके लिए 6.7 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाने का काम पूरा हो चुका है.
नोएडा एयरपोर्ट एलसी 3 यानी लाइमस्टोन कैल्साइन क्ले सीमेंट से निर्मित होने वाला पहला एयरपोर्ट है. इससे पारंपरिक पोर्टलैंड सीमेंट की तुलना में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 40 प्रतिशत तक की कमी आती है. साथ ही उत्पादन में 25 प्रतिशत तक की बचत भी होती है.
बचे काम
Terminal: टर्मिनल भवन का लगभग 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है. फिनिशिंग का काम चल रहा है. ई-गेट भी लगाए गए चुके हैं.
एयरोड्रम लाइसेंस: उड़ानों के लिए सबसे अहम एयरोड्रम लाइसेंस अभी तक नहीं मिल पाया है. इसके लिए डीजीसीए (Directorate General of Civil Aviation) को एक आवेदन दिआ गया है.
Cargo Terminal: एयरपोर्ट पर 80 एकड़ में एक कार्गो टर्मिनल तैयार किया जा रहा है. इस पर काम एयरपोर्ट के खुलने के बाद ही शुरू होगा. इसके अलावा यमुना एक्सप्रेसवे से कार्गो टर्मिनल तक 8.25 किलोमीटर लंबी सड़क भी अधूरी पड़ा है.
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