Ayodhya News: अब गलती पर मिलेगी ‘राम-राम’ लिखने की सजा; अयोध्या कॉलेज की अनोखी पहल

Ayodhya News: अब गलती पर मिलेगी ‘राम-राम’ की सजा; अयोध्या कॉलेज की अनोखी पहलअयोध्या के राजर्षि दशरथ मेडिकल कॉलेज ने अनोखी पहल की है.अब गलती करने वाले छात्रों को सज़ा नहीं, बल्कि ‘राम-राम’ लिखना होगा. यह कदम छात्रों में अनुशासन, आत्मचिंतन और सकारात्मकता बढ़ाने की दिशा में प्रेरणादायक माना जा रहा है.

Published by Team InKhabar

Ayodhya News: अयोध्या से शिक्षा और संस्कार का चर्चा-योग्य संदेश आया है. राजर्षि दशरथ मेडिकल कॉलेज की प्रशासनिक टीम ने एक अनूठी पहल शुरू करके देश की शैक्षिक बहस में नया आयाम जोड़ दिया है. अब जो छात्र किसी कारणवश गलती करेंगे, उन्हें डांट-फटकार या दंडित करने की बजाय अपनी कॉपी में ‘राम-राम’ लिखकर अपने आचरण पर चिंतन करने को कहा जाएगा. इस कदम को कॉलेज ने शिक्षा में संस्कार और आत्म-अनुशासन की ओर लौटने का प्रयास बताया है.

डॉ. सत्यजीत वर्मा का कहना

कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सत्यजीत वर्मा के अनुसार शिक्षा मात्र ज्ञान देने का नाम नहीं है, इसका एक पहलू विद्यार्थी में संस्कार और मर्यादा का विकास भी है. उनका मानना है कि कठोर सजा के बजाय सकारात्मक प्रवृत्तियों को बढ़ावा देकर ही लंबे समय तक व्यवहार में बदलाव लाया जा सकता है. इसलिए छात्र जब ईश्वर का नाम लिखेंगे तो उसमें आत्म-नियंत्रण और संयम की भावना उत्पन्न होगी.

निर्णय का दोनों ने स्वागत किया

प्रशासन के इस निर्णय का प्राध्यापकगण और छात्र दोनों ने स्वागत किया है. कई विद्यार्थियों ने बताया कि यह विधि उन्हें मानसिक शांति और आत्मपरीक्षण का अवसर देती है, जिससे वे अपनी गलती सुधारने के प्रति प्रेरित होते हैं. शिक्षकों का विश्वास है कि इससे कॉलेज का वातावरण अधिक सौहार्दपूर्ण और संस्कारप्रधान बनेगा.

Related Post

‘राम-राम’ लिखकर प्राचार्य को सौंपा

नियम लागू होते ही कुछ ही दिनों में चार-पांच छात्रों ने अपनी कॉपियों में ‘राम-राम’ लिखकर प्राचार्य को सौंपा, जिससे परिसर में सकारात्मक ऊर्जा का अहसास हुआ. डॉ. वर्मा ने यह भी बताया कि यह विचार एक छोटे उदाहरण से उभरा, पैरामेडिकल के दो छात्रों को खाली बैठने पर राम का नाम लिखने की सलाह दी गई थी और उस अनुभव ने यह सुझाव जन्मा कि इसे व्यापक रूप से अपनाया जाए.

छात्र किसी और ईष्ट का नाम लिखना चाहें तो लिख सकते हैं

प्राचार्य ने आगे कहा कि ‘राम नाम’ एक तारक मंत्र के रूप में देखा जाता है और इसे लिखने से नकारात्मकता घटती तथा अच्छे गुण बढ़ते हैं. साथ ही उन्होंने खुली छूट रखी कि जो छात्र किसी और ईष्ट का नाम लिखना चाहें. जैसे कृष्ण या अन्य, वे वह भी लिख सकते हैं. उद्देश्य साफ है कि हर विद्यार्थी में शांति, मर्यादा और संस्कार के बीज रोपना ताकि छोटे-छोटे कदमों से आदर्श समाज की कल्पना साकार हो सके.

Team InKhabar

Recent Posts

Delhi Police Constable Exam 2025: एडमिट कार्ड चाहिए तो तुरंत करें ये काम! वरना हो सकते हैं परेशान

SSC दिल्ली पुलिस परीक्षा 2025: सेल्फ-स्लॉट सिलेक्शन विंडो शुरू, Constable (कार्यकारी, ड्राइवर) और Head Constable…

December 5, 2025

बॉलीवुड मगरमच्छों से भरा…ये क्या बोल गईं दिव्या खोसला, T-Series के मालिक से तलाक पर भी तोड़ी चुप्पी

Divya Khossla News: दिव्या खोसला हाल में ऐसा स्टेटमेंट दिया है, जो बॉलीवुड के फैंस…

December 5, 2025

5 से 15 दिसंबर के बीच यात्रा करने वालों के लिए बड़ी खबर! IndiGo दे रहा रिफंड, ऐसे करें अप्लाई

IndiGo Operationl Crisis: IndiGo 500 उड़ानें रद्द! 5 से 15 दिसंबर के बीच यात्रा करने…

December 5, 2025

Shani Mahadasha Effect: शनि की महादशा क्यों होती है खतरनाक? जानें इसके प्रभाव को कम करने के उपाय

Shani Mahadasha Effects: शनि को न्याय का देवता और कर्मों का फल देने वाला ग्रह…

December 5, 2025