Research on Whatsapp Security: 3.5 अरब से ज़्यादा WhatsApp यूज़र्स के फ़ोन नंबर ख़तरे में हैं. एक बड़ी सुरक्षा खामी यूज़र्स की प्रोफ़ाइल पिक्चर, स्टेटस और About सेक्शन की जानकारी लीक कर सकती है. वियना विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इस खामी का पता लगाया है. शोधकर्ताओं के अनुसार यह खामी किसी को भी यह सत्यापित करने की अनुमति देती है कि वे WhatsApp पर सक्रिय हैं या नहीं. फिर उनके प्रोफाइल पिक्चर, स्टेटस और About सेक्शन की जानकारी आसानी से निकाली जा सकती है, जिससे उनका दुरुपयोग हो सकता है.
क्या कहते हैं शोधकर्ता?
इस पूरे मामले पर शोधकर्ता का कहना है कि समस्या WhatsApp के कॉन्टैक्ट (Contact) डिस्कवरी फीचर में है. इसे यूज़र्स की फोन एड्रेस बुक को सिंक करके लोगों को ढूंढना आसान बनाने के लिए डिजाइन किया गया था, लेकिन इसने अनजाने में यूजर डेटा की बड़े पैमाने पर चोरी का रास्ता खोल दिया. जानकारी सामने आ रही है कि वियना यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 245 देशों के वास्तविक फोन नंबर जनरेट करने के लिए libphonegen टूल का इस्तेमाल किया. फिर WhatsApp के XMPP प्रोटोकॉल से जुड़कर क्वेरी भेजी गई.
शोध में 5 अकाउंट्स के 63 बिलियन पोटेंशियल नंबरों की जांच की गई. इसके बाद रिजल्ट में जो सामने आया वो बेहद चौंकाने वाला था. रिजल्ट में सामने आया कि 100 मिलियन प्रति घंटे की गति से 3.5 बिलियन एक्टिव खाते मिले. इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात है कि 56.7% उपयोगकर्ताओं की प्रोफाइल पिक्चर और 29.3% के अबाउट टेक्स्ट सार्वजानिक रूप से मिले. इन टेक्स्ट में राजनीतिक विचार, धर्म या अन्य सोशल मीडिया लिंक भी शामिल थे.
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भारत में करोड़ों यूजर्स के नंबर खतरे में
रिसर्चर्स ने आगे ये भी बताया कि 350 करोड़ यूजर्स में से भारत में सबसे ज़्यादा 74.9 करोड़ (21.67%) खाते थे, इसके बाद इंडोनेशिया में 23.5 करोड़ मिलियन (6.81%), ब्राज़ील में 20.7 करोड़ (5.99%), संयुक्त राज्य अमेरिका में 13.8 करोड़ (3.99%) और रूस में 13.3 करोड़ (3.84%) खाते थे.
इसमें 81% एंड्रॉइड और 19% iOS उपयोगकर्ता शामिल हैं. इसके अतिरिक्त 9% बिजनेस अकाउंट्स भी शामिल है. जो WhatsApp Business फीचर्स के माध्यम से अधिक डेटा साझा करते हैं. पश्चिम अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में जहां WhatsApp मुख्य मैसेजिंग प्लेटफ़ॉर्म है, 80% प्रोफ़ाइल सार्वजनिक हैं.
WhatsApp ने क्या कहा?
इस पूरे मामले पर WhatsApp का बयान भी सामने आया है. दरअसल व्हाट्सऐप वीपी ऑफ इंजीनियरिंग नितिन गुप्ता ने कहा कि शोध से हमें अपने एंटी-स्क्रैपिंग उपायों का परीक्षण करने में मदद मिली. अब तक, किसी भी तरह के दुरुपयोग की पहचान नहीं हुई है.” मेटा और भी ज़्यादा मज़बूत एंटी-स्क्रैपिंग टूल विकसित कर रहा है.
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