एक नया स्मार्टफोन महंगा होता है. इसलिए नया फ़ोन खरीदना हर किसी के लिए मुमकिन नहीं होता. ऐसे में, लोग इस्तेमाल किया हुआ या सेकंड-हैंड फ़ोन खरीदना पसंद करते हैं. हालांकि, आपको बिना सोचे-समझे सेकंड-हैंड फ़ोन नहीं खरीदना चाहिए. ऐसा करने से नुकसान हो सकता है और बाद में पछताना पड़ सकता है. अगर आप सेकंड-हैंड फ़ोन खरीदने का प्लान बना रहे हैं, तो कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है. आइए उनके बारे में बात करते हैं.
रिफर्बिश्ड और सेकंड-हैंड फ़ोन के बीच अंतर
सबसे पहले जानते हैं रिफर्बिश्ड और सेकंड-हैंड फ़ोन के बीच अंतर क्या होता है.
एक रिफर्बिश्ड फ़ोन असल में एक नया फ़ोन होता है जिसे कंपनी ने रिपेयर करके दोबारा बेचा है. इसमें कुछ बाहरी नुकसान हो सकता है, जैसे खरोंच, लेकिन इसमें कोई टेक्निकल खराबी नहीं होती; यह बिल्कुल नए फ़ोन जैसा होता है. रिफर्बिश्ड फ़ोन खरीदने का मतलब है कि आपको ओरिजिनल कीमत पर काफी डिस्काउंट पर एक नया डिवाइस मिलता है. इस तरह का फ़ोन आमतौर पर सेकंड-हैंड फ़ोन से ज़्यादा महंगा होता है क्योंकि यह बेहतर क्वालिटी का होता है, बिल्कुल नए स्मार्टफोन की तरह.
सेकेंड हैंड फ़ोन लेने से पहले ध्यान देने वाली बातें
- सबसे पहले, फ़ोन की फिजिकल कंडीशन देखें. किसी भी खरोंच, डेंट या टूटी हुई स्क्रीन को ध्यान से देखें. चेक करें कि सभी बटन (पावर, वॉल्यूम) ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं.
- बैटरी हेल्थ ज़रूर चेक करें. iPhones में आप ‘सेटिंग्स > बैटरी > बैटरी हेल्थ’ में जाकर बैटरी हेल्थ चेक कर सकते हैं
- सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर चेक करें. फ़ोन ऑन करें और देखें कि यह स्मूथ चल रहा है या नहीं. कैमरा, स्पीकर, माइक्रोफ़ोन, वाई-फ़ाई और ब्लूटूथ जैसे फीचर्स टेस्ट करें. एक सिम कार्ड डालकर कॉल करें और चेक करें कि नेटवर्क और आवाज़ ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं. साथ ही, यह भी चेक करें कि स्मार्टफोन में कौन सा ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) है और क्या यह अपडेटेड है.
- फ़ोन खरीदने से पहले, उसका IMEI नंबर चेक करें. यह फ़ोन पर *#06# डायल करके पता किया जा सकता है. IMEI नंबर फ़ोन के बॉक्स और बिल पर भी लिखा होता है. नंबर सही है या नहीं, यह पक्का करने के लिए इनकी तुलना करें.
- फ़ोन के मॉडल और कंडीशन के हिसाब से कीमत तय करें. आप ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उसी मॉडल के दूसरे फ़ोन की कीमतें देखकर अंदाज़ा लगा सकते हैं.
रिफर्बिश्ड फोन लेने से पहले ध्यान देने वाली बातें
रिफर्बिश्ड फोन खरीदते वक्त ये समझना ज़रूरी है कि रिफर्बिश्ड का मतलब हर जगह एक जैसा नहीं होता. कुछ प्लेटफॉर्म फोन को अच्छे से टेस्ट करके, खराब पार्ट्स बदलकर और क्वालिटी चेक के बाद बेचते हैं, जबकि कुछ जगह सिर्फ साफ-सफाई करके फोन को रिफर्बिश्ड बता दिया जाता है.
इसलिए वारंटी और रिटर्न पॉलिसी को ध्यान से पढ़ना चाहिए. कम से कम 6 महीने की वारंटी मिल रही हो, तो रिस्क काफी हद तक कम हो जाता है.
एक और अहम पहलू है फोन का नेटवर्क और हार्डवेयर टेस्ट. कॉलिंग, माइक्रोफोन, स्पीकर, Wi-Fi, Bluetooth, GPS और फिंगरप्रिंट या फेस अनलॉक जैसे फीचर्स को मौके पर ही टेस्ट करना चाहिए. कई बार फोन दिखने में ठीक लगता है, लेकिन अंदर से सेंसर या नेटवर्क मॉड्यूल में दिक्कत होती है, जो बाद में सामने आती है.
कीमत को लेकर भी जल्दबाज़ी नहीं करनी चाहिए. अगर कोई फोन मार्केट रेट से बहुत सस्ता मिल रहा है, तो उसके पीछे कोई न कोई वजह ज़रूर होती है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, सेकेंड हैंड फोन की कीमत उसकी कंडीशन, उम्र और ब्रांड सपोर्ट के हिसाब से तय होनी चाहिए. बिना बिल, बॉक्स और एक्सेसरीज़ वाला फोन सस्ता जरूर हो सकता है, लेकिन रिस्क भी उतना ही ज्यादा होता है.
स्कैम से कैसे बचें
सुरक्षित खरीदारी के लिए हमेशा फोन का IMEI नंबर (*#06#) चेक करें, फिजिकल डैमेज और बैटरी हेल्थ की जांच करें, और ‘Central Equipment Identity Register’ (CEIR) पोर्टल पर जाकर यह सुनिश्चित करें कि फोन चोरी का तो नहीं है.
सेकंड हैंड फोन का कानूनी स्टेटस क्या है?
कानूनी तौर पर, भारत में सेकंड हैंड फोन खरीदना वैध है, लेकिन चोरी का सामान खरीदना अपराध की श्रेणी में आता है, इसलिए हमेशा जीएसटी बिल (GST Bill) और विक्रेता का आईडी प्रूफ मांगें.
सुरक्षित खरीददारी कैसे करें?
स्कैम से बचने के लिए कैश-ऑन-डिलीवरी को प्राथमिकता दें और किसी भी अनजान लिंक पर पेमेंट न करें एक स्मार्ट खरीदार वही है जो ब्रांडेड रीफर्बिश्ड स्टोर (जैसे Amazon Renewed, Cashify) से खरीदे ताकि उसे रिटर्न पॉलिसी और सर्विस सपोर्ट मिल सके.