Dhanteras Salt Buying 2025 : दीपावली से ठीक पहले मनाया जाने वाला धनतेरस न केवल धन-संपत्ति की कामना का प्रतीक है, बल्कि ये स्वास्थ्य और समृद्धि की कामनाओं से भी जुड़ा हुआ पर्व है. ये पर्व विशेष रूप से भगवान धन्वंतरि को समर्पित होता है, जिनका जन्म समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश के साथ हुआ था. इस दिन को लेकर कई धार्मिक मान्यताएं और परंपराएं प्रचलित हैं, जिनका पालन करने से जीवन में सुख-शांति और वैभव की प्राप्ति मानी जाती है.
भगवान धन्वंतरि की पूजा का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से आरोग्य और आयु में वृद्धि होती है. भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक माना जाता है, जिन्होंने अमृत लेकर धरती पर अवतार लिया था. इस दिन पूजा के दौरान अमृत, शंख, औषधि और दीपक के साथ उनका आह्वान किया जाता है. मान्यता है कि इससे न केवल रोगों से मुक्ति मिलती है, बल्कि आर्थिक स्थिति में भी सुधार होता है.
लक्ष्मी, कुबेर और गणेश की भी होती है पूजा
धनतेरस के दिन केवल भगवान धन्वंतरि ही नहीं, बल्कि मां लक्ष्मी, कुबेर महाराज और भगवान गणेश की भी विशेष पूजा की जाती है. लक्ष्मी माता से धन-वैभव की प्राप्ति, कुबेर से खजाने की वृद्धि और गणेश जी से बाधाओं की समाप्ति की प्रार्थना की जाती है. यह संयोजन दीपावली के शुभारंभ की ओर पहला कदम माना जाता है.
नमक खरीदने की परंपरा और उसका महत्व
धनतेरस पर नमक खरीदना एक बेहद खास और शुभ परंपरा मानी जाती है. खास तौर पर सेंधा नमक (रॉक सॉल्ट) का महत्व ज्यादा होता है. मान्यताओं के अनुसार, इस दिन नमक खरीदने और उसका एक विशेष प्रयोग करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और पॉजिटिव एनर्जी आती है.
Dhanteras Upay : धनतेरस उपाय
इस दिन एक खास उपाय किया जाता है: पिसा हुआ सेंधा नमक एक लाल कपड़े में बांधकर घर के मुख्य द्वार पर, पूर्व दिशा की ओर बांधा जाता है. ऐसा करने से बुरी शक्तियां घर में प्रवेश नहीं कर पातीं और वातावरण पवित्र बना रहता है.
धनतेरस न केवल बाजार से कुछ नया खरीदने का अवसर है, बल्कि ये आत्मशुद्धि, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए की जाने वाली एक आध्यात्मिक साधना भी है. पारंपरिक मान्यताओं और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जुड़े ये रीति-रिवाज हमें जीवन में संतुलन और ऊर्जा प्रदान करते हैं.

