Shani Dev Upay: शनि देव को न्याय और कर्म प्रधान के देवता माना जाता है और जिस व्यक्ति पर शनि देव की कृपा होती है, उसके जिवन से सारे दुख दर्द खतम हो जाते है और जीवन में तरक्की होने लगती है। लेकिन शनि देव की दुष्ट दृष्टि जिस पर पड़ जाए, उसका सब खराब हो जाता है। कई लोगों की कुंडली में शनि सक्रिय होता है, तो व्यक्ति को जीवन में धैर्य रखना होता है साथ ही मेहनत और अनुशासन से गुजरना होती है। शनि के दुष्ट प्रभाव से किसी भी कार्य में विलंब, संघर्ष और जिम्मेदारियों का बोझ भी बढ़ सकता है।
शनि देव का जीवन में प्रभाव
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनि देव, जीवन में गहरी परीक्षाएं और अनुभवों के जरिए व्यक्ति को सही मार्ग दिखाने का काम करते हैं, जो लोग मेहनत और ईमानदारी से काम करता है और जीवन गुजारते हैं, तो उनके लिए शनि एक्टिव होने पर तरक्की और सफलता के मार्ग खुलते हैं। शनि देव डर के माध्यम से सभी को अनुशासन में जिना सिखाते है, लेकिन अगर समय पर न समझे तो, व्यक्ति को अपराधबोध, आत्म-संदेह और देरी का सामना करना पड़ सकता है.
जब कुंडली में शनि एक्टिव हो जाए तो
कुंडली में शनि एक्टिव होने से मन में बार-बा गलती न हो जाने का ख्याल आता है।
जरूरी काम को देरी से करने और टालने की आदत बन जाती है।
रात के समय छाती में भारीपन और चिंता होने का अहसास होता है।
बार-बार ऐसी सोचते हैं कि ‘मैं कुछ भी डिजर्व नहीं करता हूं’
कुंडली में शनि के योग होने से क्या होता है
कुंडली में शनि पहले स्थान में होने से डर और असफलता की परेशानी का सामना करना पड़ता है।
कुंडली में शनि चौथे स्थान में होने से व्यक्ति को पारिवारिक तनाव और भावनात्मक कमी महसूस होने लगती है।
कुंडली में शनि सातवें स्थान में होने से रिश्तों में तनाव और ट्रस्ट इश्यू जैसी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
कुंडली में शनि दसवें स्थान में होने से करियर से संबंधित परेशानियां और बॉस के डर का सामना करना पड़ता है।
कुंडली में शनि और चंद्रमा एक साथ होने से ओवरथिंक और भावनात्मक रूप से कमजोरी का सामना भी करना पड़ सकता है।
कुंडली में शनि को शांत करने का उपाय
शनि देव के दुष्ट प्रभाव को शांत करने के लिए हर शनिवार को सरसों के तेल का दान करना अच्छा हो सकता है।
प्रत्येक दिन सूर्य को जल चढ़ाने से भी कुंडली में शनि दुष्ट प्रभाव कम होता है।
हर शनिवार ऊँ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का 108 बार जाप करने से भी शनि देव खुश होते हैं।

