क्या है भाई-दूज?
Bhai Dooj: भाई दूज का पर्व हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है, और यह त्योहार भाई-बहन के रिश्तों के अटूट प्रेम को दर्शाता है.इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए पूजा और प्रार्थना करती हैं, भाई उन्हें आशीर्वाद के साथ -साथ गिफ्ट भी देते हैं. यह परंपरा भारतवर्ष में युगों-युगों से चली आ रही है.
प्रेमानंद महाराज जी ने इसके बारे में क्या कहा है?
आपको बता दें की ऐसे तो महाराज जी ने भाई दूज के बारे में बहुत विशेष बात तो नहीं कही है लेकिन उन्होनें भाई-दूज जैसे त्योहारों के पीछे छुपे असली अर्थ को समझाने का प्रयास किया है. महाराज जी के अनुसार भाई-भाई का संबंध केवल खून का रिश्ता नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी शक्ति है जो जीवन के हर संघर्ष में सहारा बनता है. उनका कहना है की अगर भाई कहीं संकट या किसी मुसीबत में फंसा हो तो उसकी सुरक्षा करना दूसरे भाई धर्म है.
किसी भी परिस्थिति में भाई का साथ.
इतिहास में ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं जिन्होंने किसी भी परिस्थिति में अपने भाई का साथ नहीं छोड़ा. जैसे प्रभु श्री राम के साथ लक्ष्मण जी जंगल-जंगल साथ भटके और रावण के विरुद्ध युद्ध भी किया, वहीं कुम्भकर्ण को भी पता था की उसका भाई गलत है लेकिन फिर भी उसने अपने भाई रावण का साथ नहीं छोड़ा और वह वीरगति को प्राप्त होकर भाई के रिश्ते का एक मिशाल बन गया.भाई-भाई का मिलकर रहना सबसे बड़ी ताकत है, जिससे घर में ईश्वर की अनकही कृपा बरसती है और जीवन में सुख-शांति का वास होता है.
सुख शांति बनाये रखें
महाराज जी कहते हैं कि घर और जीवन में सुख शांति बनाये रखना है तो भाई-भाई को एक-दूसरे का ध्यान रखना ही पड़ेगा जिससे घर भी खुशहाल रहता है, ईश्वर की कृपा घर पर हमेशा बनी रहती है. इससे जीवन में सुख और शांति भी कायम रहती है.
एकता में शक्ति है.
जब भाई आपस में एकजुट हो जाते हैं तो संसार की कोई शक्ति उन्हें डिगा नहीं सकती.परिवार की असली मजबूती उसके सदस्यों की एकता में ही निहित होती है. इतिहास इसका भी साक्षी रहा है, महाभारत काल में पांचों पाडंवों ने मिलकर पूरा महाभारत का युद्ध जीत लिया.इसका भी एक मुख्य कारण भाईयों की एकता ही थी.

