Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज, एक हिंदू तपस्वी और गुरु हैं, जो राधावल्लभ संप्रदाय को मानते हैं. प्रेमानंद जी महाराज अपनी भक्ति, सरल जीवन, और मधुर कथाओं के लिए लोगों में काफी प्रसिद्ध हैं. हर रोज लोग उनके कार्यक्रम में शामिल होते हैं जहां वह लोगों के सवालों के जवाब देते हैं.हजारों लोगों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन देते हैं. उनके प्रवचन, जो दिल को छू जाते हैं, ने उन्हें बच्चों और युवाओं सहित विभिन्न आयु वर्ग के लोगों के बीच लोकप्रिय बनाया है. प्रेमानंद जी महाराज नाम जप करने के लिए के लिए लोगों को प्रेरित करते हैं और साफ मन से अपने काम को करें और सच्चा भाव रखें.
भक्त के सवाल पर प्रेमानंद जी महाराज ने बताया कि कब और कैसे प्रेमानंद महाराज को हुआ नाम जप पर अटूट विश्वास.
भगवान की कृपा से जब प्रेमानंद जी जब 11 वर्ष के थे, तो उनके पिता जी बहुत सख्त स्वभाव के थे, पिता का डर बहुत था. पिता जी ने पूछा कि आप घर से क्यों भागे, तो उन्हें बताया कि भगवान का भजन करना है, तो पिता जी ने कहा भगवान का भजन घर में भी किया जा सकता है, तो उनहें कहां कि अब आप चाहे पार डालो, लेकिन आजीवन भगवान का भजन करेंगे और सच्चे मन से करेंगे.
यह बात सुनकर उनके चहरे का रंग बदल गया. प्रसन्नता उनके चेहरे पर दिखाई दी. उन्होंने गले से लगाया एक दम भावपूर्ण हो गए. उन्होंने बोला कि संत बनना है तो पद्धति से बनना है. गुरु जी के पास ले गए, उन्होंने गुरु जी को कहां यह लड़का कह रहा है संत बनेंगे तो हम आपकी शरण में ले आए, छोड़ दो इसको यहां पर एक सप्ताह में या तो यह घर भाग जाएगा या संत बन जाएगा.
एक सप्ताह के बाद संत ने प्रेमानंद जी से कहा जाओ गंगा स्नान कर के आओ मंत्र देते हैं, मंत्र दिया और पहले दिन कहा, अंदर अंदर ही निरंतर मंत्र चलने का अभ्यास होना चाहिए, यही समस्त शास्त्रों का सार है. बस वो नए दिमाग में बात बैठ गई गुरु देव की, पूरे जीवन भर यहीं बार रही गुरुदेव की. उसी बात को पुष्ट किया शास्त्रों ने, वृंदावन में भी महाराज जी की भी मुहर लग गई.
अगर आपके अंदर नाम रूपी बल नहीं है, तो आपका जीवन कुछ नहीं है. नाम एक अंक है. सब साधन शून्य हैं. अंक हटा दो तो शून्य का क्या महत्व और अंक रख दो तो शून्य का महत्व बढ़ता चला जाएगा. नाम अंक है, तो आप 10 गुना महत्व आपको मिलेगा. हर काम को नाम जप करते हुए करें. भगवान के नाम से सब कुछ प्राप्त हो जाएगा.
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