Pitru Paksh ka Mehtav: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उन्हें तर्पण देते हैं। इस अवधि को अत्यंत पवित्र और धार्मिक माना गया है, लेकिन साथ ही इसे भौतिक सुख-सुविधाओं और नए कार्यों की शुरुआत के लिए अनुकूल नहीं माना जाता। यही कारण है कि पितृ पक्ष के दौरान नया सामान खरीदना वर्जित माना गया है।
1. पूर्वजों को समर्पित समय
पितृ पक्ष पूरी तरह से अपने पूर्वजों को याद करने और उन्हें तर्पण करने का समय है। शास्त्रों के अनुसार, इस काल में पितरों की आत्मा धरती पर आती है और अपने वंशजों के तर्पण से तृप्त होकर आशीर्वाद देती है। ऐसे समय में नया सामान खरीदना या नए कार्यों में व्यस्त होना, पूर्वजों की उपेक्षा करना माना जाता है।
2. नए कार्य शुभ नहीं माने जाते
ज्योतिष और धर्मशास्त्रों के अनुसार, पितृ पक्ष में कोई भी नया कार्य, जैसे विवाह, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना या कोई बड़ा निवेश करना अशुभ माना गया है। इसका कारण यह है कि यह काल उत्सव या आरंभ के लिए नहीं, बल्कि तपस्या और स्मरण के लिए निर्धारित है। कहा जाता है कि इस समय किए गए नए कार्यों का शुभ फल कम हो जाता है।
3. सादगी और त्याग का महत्व
पितृ पक्ष का मूल भाव सादगी और त्याग है। इस समय व्यक्ति को भोग-विलास और दिखावे से दूर रहकर धर्म और दान-पुण्य में मन लगाना चाहिए। नया सामान खरीदना भोग-विलास और उत्सव का प्रतीक माना जाता है, जो इस अवधि के भाव से विपरीत है।
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4. परंपरा और मान्यता
प्राचीन काल से ही पितृ पक्ष को “नए आरंभ के लिए निषिद्ध” माना गया है। घर-परिवार में यह परंपरा पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही है। इसीलिए आज भी लोग इस समय में शादियां, बड़े सौदे या नई खरीदारी नहीं करते। उनका मानना है कि ऐसा करने से पूर्वज प्रसन्न नहीं होते और कार्य का शुभ परिणाम प्रभावित हो सकता है।

