Krishna Janmashtami 2025: कृष्ण जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन व्रत, पूजा और मध्यरात्रि जन्म महोत्सव का आयोजन होता है। इस साल जन्माष्टमी पर भक्त सुबह से ही मंदिरों और घरों को फूलों और लाइटिंग से सजाना शुरू कर देते हैं। आज हम आपको इस दिन होने वाले पूजा की पूरी विधि बताएंगे कि कैसे आप अच्छे से अपनी पूजा पूरी कर सकते हैं।
पूजा की विधि:
इस दिन सुबह स्नान के बाद घर के मंदिर की सफाई की जाती है और गंगाजल का छिड़काव किया जाता है। उपवास रखने वाले भक्त दिनभर केवल फलाहार लेते हैं। रात के समय भगवान कृष्ण का झूला सजाया जाता है। ठीक बारह बजे, शंखनाद और घंटियों के बीच भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाता है। बाल गोपाल को दूध, दही, मक्खन और मिश्री से स्नान कराकर नए वस्त्र पहनाए जाते हैं। इसके बाद आरती और भजन-कीर्तन होता है।
पूजा सामग्री की सूची:
- भगवान कृष्ण की प्रतिमा या बाल गोपाल की मूर्ति
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल)
- तुलसी पत्ते
- माखन-मिश्री
- फूल और माला
- पीला वस्त्र
- धूप, दीप और अगरबत्ती
- पान, सुपारी और लौंग-इलायची
- झूला सजाने के लिए कपड़े, मोरपंख और सजावट की सामग्री
- भजन-कीर्तन के लिए मंजीरे, ढोलक
भक्त मानते हैं कि इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ व्रत और पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और प्रेम बना रहता है। जन्माष्टमी की रात न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भक्त और भगवान के बीच प्रेम, भक्ति और विश्वास का भी उत्सव है। इस अवसर पर मंदिरों में विशेष सजावट, दही हांडी प्रतियोगिता और भजन संध्याएं भी आयोजित की जाती हैं।

