Home > धर्म > Karwa Chauth Vrat Katha: जानें क्या हैं करवा चौथ पर कथा पढ़ने का शुभ मुहूर्त! पहले पढ़ें गणेश जी की कहानी, फिर पढ़े वीरावती की

Karwa Chauth Vrat Katha: जानें क्या हैं करवा चौथ पर कथा पढ़ने का शुभ मुहूर्त! पहले पढ़ें गणेश जी की कहानी, फिर पढ़े वीरावती की

Karwa Chauth Vrat Katha In Hindi: करवा चौथ के दिन जीतना महत्व पूजा और व्रत का होता हैं. उतना ही महत्व कथा सुनने का भी होता है. कहा जाता है कि करवा चौथ के दिन कथा न सुनी जाए, तो व्रत अधुरा रहता हैं, चलिए जानते है यहां करवा चौथ की कथा पढ़ने का शुभ मुहूर्त और कहानी के बारे में

By: chhaya sharma | Published: October 9, 2025 1:17:30 PM IST



Karwa Chauth Vrat Katha In Hindi: करवा चौथ का त्योहार कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है. इस साल कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि आज 09 अक्टूबर को देर रात 10 बजकर 54 मिनट से शुरू हो रही है और कल 10 अक्टूबर को शाम 07 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगी. उदय तिथि के अनुसार करवा चौथ का त्योहार 10 अक्टूबर 2025 के दिन मनाया जाएगा. 

 करवा चौथ के दिन कथा का महत्व

करवा चौथ के दिन महिलाएं पूरे दिन बिना कुछ खाए और पिएं निर्जला व्रत करती हैं और अपने पति की दीर्घायु, सौभाग्य और गृहस्थ जीवन की कामना करती है. इस दिन चौथ माता के साथ-साथ भगवान गणेश की पूजा भी की जाती है. इसके अलावा करवा चौथ व्रत में कथा का विशेष महत्व होता है. अगर महिलाएं करवा चौथ पर कथा न सुने, तो व्रत पूरा नहीं माना जाता हैं, चलिए आपको बताते हैं यहां करवा चौथ की पावन कथा के बारे में.

करवा चौथ के दिन कथा सुनने का सबसे शुभ मुहूर्त

साल 2025 में करवा चौथ व्रत की कथा पढ़ने का शुभ मुहूर्त 10 अक्टूबर की शाम 05 बजकर 57 मिनट से रात 07 बजकर 11 मिनट तक रहेगा. करवा चौथ के दिन भगवान गणेश और वीरावती वाली दो कहानियां पढ़ी जाती है. कहा जाता हैं कि चतुर्थी तिथि के दिन पहले गणेश जी की पूजा की जाती हैं, उसके बाद करवा माता की पूजा होती है ौर कथा सुने बिना व्रत अधूरा माना जाता है

करवा चौथ के दिन पढ़ें गणेश जी की कथा-

एक अंधी बुढ़िया, गणेश जी की भक्त थी. वो हर रोज पूरे विधि विधान से  गणेश जी का पूजा करती थी. एक दिन भगवान गणेश जी उस अंधी बुढ़िया की भक्ती देख बेहद हो गए और उसे दर्शन दिए. भगवान गणेश जी ने अंधी बुढ़िया से कहा मैं आपकी पूजा से प्रसन्न हूं, मागों जो मागना है. इसके बाद बुढ़िया, गणेश जी से कहती है कि मुझे मांगना नहीं आता, तो फिर मैं कैसे और क्या मांगू और फिर वो अपने बेटे और बहू से सलहा लेती है. बेटा कहता है कि धन मांग लो, वहीं बहू कहती है की आप पोता मांग लो. तब बुढ़िया सोचती है कि सब मतलबी है और अपने मन की इच्छा बोल रहे हैं. इसके बाद बुढ़िया ने अपने पड़ोसियों से सलहा की और पूछा कि मैं क्या मांगू… इस पर पड़ोसियों ने कहा ऐ अंधी बुढ़िया तेरी थोड़ी सी जिंदगी बची है, ऐसे में तू अपनी आंखे मांग ले, जिससे तेरी आगे बची जिंदगी सुख से बीते.. इसके बाद बुढ़िया घर जाती है और सोचती हैं, क्यों ना मैं कुछ ऐसा मांगू, जिससे मेरे बेटे-बहू और मेरा सबका भला हो जाए. वही जब दूसरे दिन श्री गणेश जी आए और बुढ़िया से पूछा की तुमने अपने लिए क्या वरदान सोचा हैं? मैं वचन देता हू आप जो मांगेगी, मैं वो दूंगा. भगवान गणेश जी का वचन सुनकर बुढ़िया बोली, हे गणराज ! यदि आप मुझ पर प्रसन्न हुए हैं, तो आप  मुझे नौ करोड़ की माया दें, निरोगी काया दें, अमर सुहाग दें, आंखों में प्रकाश दें, नाती पोते दें, और समस्त परिवार को सुख दें. फिर अंत में मोक्ष दें. अंधी बुढ़िया की बात सुन गणेश जी बोले अरे बुढ़िया मां तूने तो मुझे ठग लिया. तथास्तु कहकर गणेश जी अंतर्ध्यान हो गये. कथा के अंत में प्रार्थना करें जैसे बुढिया मां को सब कुछ दिया वैसे ही सबको देना. बोलो गणपति भगवान की जय

करवा चौथ के दिन पढ़ें वीरावती की कथा

एक साहूकार की वीरावती नाम की बेटी थी और उसके साथ भाई हैं. उसने पहली बार करवा चौथ का व्रत रखा और दिन भर भूखी-प्यासी रही, जिसके बाद वो बहुत कमजोर हो गई. भाइयों से अपनी लोती बहन की ऐसा हालत देखी नई गई, क्योंकि सारे भाई अपने बहन से बेहद प्यार करते थे. अपनी बहन का व्रत खुलवाने के लिए भाईयों ने युक्ति सोची. उन्होंने एक पहाड़ी पर दीपक जलाया और चांद जैसा दृश्य बनाया और अपनी बहन को कहा की चांद निकल आया है. वीरावती ने भी उस छल को सचमुच में चांद समझ लिया और भाभियों से भी कहा- व्रत खोल लो चांद निकल गया है. भाभियों ने कहा कि तुम खोलो, हम तो चांद निकलने पर खोलेगे. लेकिन वीरावती अपनी भाईयों की बात में आ गई और व्रत खोल लिया, जिसके बाद उसके पति की मृत्यु हो गई और देखकर वह बहुत दुखी हुई और सच्चे मन से मां पार्वती की पूजा करने लगी. वीरावती ने पूरे साल की चौथ का व्रत रखा और करवा चौथ के दिन व्रत रखने पर माता पार्वती उससे प्रसन्न हो गईं और उन्होंंने वीरावती  को बरदान दिया की वो उसके पति को फिर से जीवित कर देंगी. तभी से सभी महिलाएं पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करवा चौथ का व्रत रखती हैं और अपने पति की लंबी उम्र का वरदान मांगती हैं.

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है. पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें. Inkhabar इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है.

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