Karwa Chauth 2025: करवा चौथ का व्रत विवाहित महिलाओं के लिए बेहद खास होता है. इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख-समृद्धि के लिए दिनभर उपवास रखती हैं और रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं. परंतु जब बात गर्भवती महिलाओं की आती है, तो यह सवाल अक्सर उठता है कि क्या वे यह व्रत रख सकती हैं और यदि रखती हैं तो किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? आइए जानते हैं विस्तार से.
गर्भवती महिलाएं और करवा चौथ व्रत
गर्भावस्था में महिला का स्वास्थ्य सिर्फ उसके लिए नहीं, बल्कि गर्भस्थ शिशु के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण होता है. इसलिए इस दौरान लंबे समय तक निर्जला व्रत रखना डॉक्टर सामान्यतः मना करते हैं. हालांकि परंपरा और भावनात्मक जुड़ाव के चलते कई गर्भवती महिलाएं यह व्रत करना चाहती हैं. ऐसे में वे फलाहारी या आंशिक व्रत रख सकती हैं. इसका मतलब है कि वे पानी, दूध, फलों या हल्के आहार का सेवन करते हुए भी व्रत की भावना को निभा सकती हैं.
ध्यान रखने योग्य बातें
डॉक्टर से परामर्श – व्रत रखने से पहले स्त्रीरोग विशेषज्ञ या चिकित्सक से सलाह अवश्य लें.
पानी और तरल पदार्थ का सेवन – निर्जला व्रत की बजाय पर्याप्त मात्रा में पानी, नारियल पानी और जूस लेते रहना जरूरी है.
हल्का आहार – दिनभर भूखे रहने की बजाय फलों, सूखे मेवे और दूध का सेवन करना बेहतर है.
अत्यधिक थकान से बचें – गर्भवती महिला को इस दिन अधिक शारीरिक कार्य न करने की सलाह दी जाती है.
रात को चंद्रमा दर्शन के बाद पारण – पूजा की सभी विधियां पूरी कर सकती हैं, परंतु पारण के समय पौष्टिक और हल्का आहार ही लेना चाहिए.
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धार्मिक और भावनात्मक पक्ष
धार्मिक मान्यता है कि करवा चौथ पर व्रत करने से दांपत्य जीवन में सुख-शांति आती है और पति की आयु लंबी होती है. गर्भवती महिलाएं यदि पूरे दिन उपवास न रख पाएं, तो केवल पूजा और चंद्र दर्शन करके भी इस व्रत का पुण्य प्राप्त कर सकती हैं.
गर्भावस्था में स्वास्थ्य सबसे बड़ा धर्म है. ऐसे में यदि महिला चाहें तो करवा चौथ का व्रत फलाहार या जलाहार के रूप में रख सकती हैं, लेकिन स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर कठोर उपवास करना सही नहीं है. भावनाओं के साथ-साथ स्वास्थ्य का संतुलन ही इस व्रत को सार्थक बनाता है.

