Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी भारत के सबसे बड़े और भव्य त्योहारों में से एक है। यह पर्व हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल चतुर्थी से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी तक पूरे 10 दिनों तक चलता है। इन दिनों में गणपति बप्पा को घरों और पंडालों में विराजमान किया जाता है और फिर पूरे श्रद्धा भाव से पूजा-अर्चना की जाती है। आइए जानतें हैं ,गणेश चतुर्थी 10 दिनों तक ही मनाई जाती है? इसके पीछे धार्मिक मान्यताएं और ऐतिहासिक कारण..
गणेश स्थापना से लेकर विसर्जन तक की परंपरा
पुराणों के अनुसार भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद मास की शुक्ल चतुर्थी को हुआ था। इसलिए इस दिन से गणपति की पूजा की शुरुआत होती है। भक्त मानते हैं कि जब गणेश जी की प्रतिमा को घर में स्थापित किया जाता है तो बप्पा उन 10 दिनों तक घर-परिवार में सुख, शांति, समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद देते हैं। दसवें दिन यानी अनंत चतुर्दशी को विसर्जन किया जाता है, जिसे गणपति को सम्मानपूर्वक विदा करने की परंपरा माना जाता है।
ऐतिहासिक कारण: लोकमान्य तिलक और गणेश उत्सव
गणेश चतुर्थी को 10 दिनों तक सार्वजनिक रूप से मनाने की परंपरा का श्रेय लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को जाता है। हालांकि पेशवा काल में यह त्योहार बड़े पैमाने पर मनाया जाता था, लेकिन यह पूजा घरों तक ही सीमित थी। सन् 1893 में तिलक ने इस उत्सव को जन-आंदोलन का रूप दिया। उन्होंने गणपति उत्सव को सार्वजनिक रूप से मनाने का आह्वान किया ताकि लोग बड़ी संख्या में एकत्र हों। उस समय अंग्रेजों के शासन में बड़े राजनीतिक जमावड़ों पर पाबंदी थी, लेकिन धार्मिक आयोजनों पर रोक नहीं थी। ऐसे में गणेशोत्सव लोगों को एकजुट करने और आजादी की भावना को जगाने का माध्यम बन गया। यही कारण है कि गणेश चतुर्थी 10 दिनों तक भव्य रूप से मनाने की परंपरा आज भी जीवित है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार 10 दिन का महत्व
गणपति को विध्नहर्ता और शुभारंभ का देवता माना जाता है। मान्यता है कि जब भाद्रपद मास की चतुर्थी को उनकी स्थापना होती है, तो वे 10 दिनों तक अपने भक्तों के बीच रहकर उनकी सभी बाधाएं दूर करते हैं और उन्हें सौभाग्य का आशीर्वाद देते हैं। अनंत चतुर्दशी को विसर्जन का दिन इसलिए रखा गया है क्योंकि यह दिन “अनंत” यानी जीवन और ब्रह्मांड की अनंतता का प्रतीक है। माना जाता है कि गणपति इन 10 दिनों में भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करके पुनः कैलाश लौट जाते हैं।
क्यों कुछ लोग करते हैं कम दिनों का विसर्जन?
हालांकि परंपरा 10 दिनों की है, लेकिन कई परिवार अपनी सुविधा और परंपरा के अनुसार गणपति विसर्जन जल्दी कर देते हैं। कुछ घरों में बप्पा को 1 दिन, 3 दिन, 5 दिन या 7 दिनों के लिए ही विराजमान किया जाता है। इसका कारण यह है कि हर कोई लंबे समय तक पूजा और मेहमाननवाजी नहीं कर पाता।

