Deepawali 2025: क्या आप चाहते हैं इस बार दीपावली पर्व आपकी श्री वृद्धि एवं ध्येय सिद्धि करे और परिवार में गणपति के साथ ही माता लक्ष्मी एवं काली की कृपा सदा बनी रहे. यूं तो पांच दिनों के इस पर्व का हर दिन अपना अलग महत्व रखता है किंतु दीपावली का दिन कई मामलों में खास रहता है. रात को निशीथ कहा जाता है किंतु दीपावली की रात को महानिशीथ काल के रूप में जाना जाता है. पंडित शशिशेखर त्रिपाठी (Pandit Shashishekhar Tripathi) बताते हैं कि इसका विशेष महत्व होता है और यदि इसे यूं हीं बेकार नहीं किया बल्कि सदुपयोग किया तो आपको मां लक्ष्मी की विशेष कृपा भी प्राप्त होगी.
न खेलें ताश और न मूवी देखें, करें इष्टदेव का जाप
दीपावली की रात महानिशीथ काल में पूरे घर की लाइट जलाकर रखनी चाहिए. उत्सव मनाएं और किसी भी तरह की सुस्ती या डलनेस न आने दें. इस रात ताश तो कतई नहीं खेलना चाहिए और न ही टाइम पास के लिए कोई मूवी या सीरियल. विद्यार्थियों के लिए तो साल भर का सबसे अच्छा मौका है जब वे अपने इष्टदेव की आराधना, उनकी माला या नाम जप कर प्रतियोगी परीक्षाओं में गारंटीड सफलता पा सकते हैं. निश्चित रूप से इस दिन किए गए जाप का फल अवश्य मिलता है. परिवार के साथ भजन सुनने या सत्संग जैसे धार्मिक कार्यक्रम भी कर सकते हैं.
ऐसा करने से नहीं होगी धन की कमी
दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन में लक्ष्मी जी के लिए कमल के फूलों का आसन बनाना चाहिए, ऐसा करने वालों के यहां से लक्ष्मी जी कभी नहीं जाती हैं. दीपावली पूजन के समय कौड़ियों को केसर या हल्दी से रंगकर पीले कपड़े में बांध लें और फिर इन कौड़ियों को धन रखने के स्थान यानी तिजोरी में रखने से घर में कभी धन की कमी नहीं रहेगी. लक्ष्मी पूजन में नकदी सोने या चांदी का सिक्का आदि माता लक्ष्मी को चढ़ाना बहुत ही शुभ होता है. चांदी में लक्ष्मी जी का वास माना जाता है.
इसलिए की जाती है महाकाली की पूजा
कार्तिक अमावस्या दीवाली की रात होती है, जो अंधकार और शक्ति का प्रतीक मानी जाती है. इस रात मां महाकाली की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि वे अंधकार पर विजय की देवी हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार असुरों का अत्याचार बढ़ने पर मां दुर्गा का आह्वान किया गया तो मां काली के रूप में अवतरित हुईं और असुरों का वध किया. उनका क्रोध इतना अधिक हो गया कि शिव जी उनके सामने भूमि पर लेट गए, आवेश में जैसे ही उनका पैर भगवान को स्पर्श किया तो मां काली का रौद्र रूप शांत हो गया. इसलिए इस रात मां दुर्गा के काली रूप की आराधना की जाती है. काली मां सिद्धि और पराशक्तियों की आराधना करने वाले साधकों की इष्ट देवी मानी जाती हैं लेकिन केवल तांत्रिक साधना के लिए ही नहीं अपितु आम जन के लिए भी महाकाली की पूजा विशेष फलदायी बताई गई है. काली पूजा को महानिशा और श्यामा पूजा भी कहा जाता है.
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है. पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें. Inkhabar इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है.

