Foreigner Musician Recalls Growing Up In Jodhpur: इस खबर में आपको ऐसे विदेशी संगीतकार की कहानी के बारे में बताएंगे जिनता दिल राजस्थान के जोधपुर में बसता है. उनका नाम बियांका नीड्डू है, जिन्होंने अपने बचपन की यादों के एक बार फिर से याद कर यह बताया कि भारतीय संस्कृति कितनी ज्यादा खूबसूरत है. उनके मुताबिक, जोधपुर केवल एक शहर नहीं, बल्कि संगीत साधना की एक अनोखी नींव भी है. इसके अलावा उन्होंने भारतीय मूल्यों के साथ-साथ संगीत और परंपराओं का जश्न मनाते हुए दुनिया को यह सिखाया है कि हिंदुस्तान की मिट्टी में वह जादू है जो किसी को भी अपनी तरफ तेजी से खिंच लेती है.
‘ब्लू सिटी’ के नाम से मशहूर है जोधपुर
जोधपुर, विश्वभर में ‘ब्लू सिटी’ के नाम से जाना जाता है, अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए दुनियाभर में बेहद ही प्रसिद्ध है. हाल ही में एक विदेशी संगीतकार ने सोशल मीडिया और इंटरव्यू के माध्यम से जोधपुर में बिताए अपने बचपन को याद करते हुए हर एक भारतीय को यह भावयुक संदेश दिया. जिसमें उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि कैसे राजस्थान की मिट्टी, यहां के लोक संगीत और यहां के लोगों के खुले दिल ने उनके संगीत और व्यक्तित्व को एक नई पहचान देने में बेहद ही मदद की है.
बचपन की यादें और संगीत का सुंदर सफर
संगीतकार ने याद करते हुए बताया कि जोधपुर की गलियों में गूंजते ‘सारंगी’ और ‘खड़ताल’ के सुरों ने उन्हें पहली बार संगीत की तरफ आकर्षित करने का काम किया. साथ ही उन्होंने आगे बताया कि उनके माता-पिता किसी काम के सिलसिले में भारत आए थे, और साथ ही उनका पूरा बचपन मेहरानगढ़ किले की परछाईं में ही बीता है. उन्होंने आगे कहा कि स्कूल से लौटते समय मंदिर की घंटियों और सूफी दरगाहों से आने वाली आवाजों ने उनके भीतर एक गहरा ‘सांस्कृतिक जुड़ाव’ पैदा करने का काम किया है.
उनके मुताबिक, “भारत केवल एक देश नहीं, बल्कि एक खूबसूरत अनुभव है, जिसे हर किसी को महसूस करना चाहिए.” उन्होंने भारतीय संस्कृति के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए यह संदेश दिया कि यहां का हर त्यौहार, चाहे वह होली के रंग हों या फिर दीवाली की रोशनी, समुदाय और प्रेम का संदेश देता है.
भारतीय संस्कृति का वैश्विक जश्न पर क्या बोलीं संगीतकार
आज यह संगीतकार वैश्विक स्तर पर भारतीय शास्त्रीय संगीत और पश्चिमी संगीत के मिश्रण (Fusion) के लिए जानी जाती है. इसके अलावा वे अपने हर कंसर्ट की शुरुआत अक्सर राजस्थानी लोक धुन से ही करती हैं. इतना ही नहीं, उन्होंने साझा करते हुए बताया कि जोधपुर की वह ‘सादगी’ और ‘अतिथि देवो भव:’ की भावना आज भी उनके व्यवहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा में से एक है.