IPS Officer Success Story: प्रतियोगिता परीक्षा पास कर अपने सपनों को पूरा करना आसान नहीं है. इन परीक्षाओं को पास करने में मेहनत के साथ कई त्याग भी करने पड़ते हैं. जिसमें से कुछ लोग अपनी नौकरी छोड़ देते हैं और कुछ परिवार से भी अलग हो जाते हैं. आज हम जिनकी कहानी बताने जा रहे हैं उन्होंने भी अपनी सरकारी नौकरी छोड़ने का फैसला लिया था और जमकर मेहनत की थी. नतीजा भी उन्हें शानदार मिला और आज वह एक आईपीएस ऑफिसर हैं. इतना ही नहीं, वह वाराणसी की पहली फीमेल एडिशनल डिप्टी कमिशनर ऑफ पुलिस बनी हैं.
बिहार के छोटे से गांव से आने वाली लड़की बनीं IPS
BDO की नौकरी छोड़ यूपीएससी एग्जाम क्रैक करने वालीं आईपीएस ऑफिसर आरती सिंह की सक्सेस स्टोरी काफी इंस्पायरिंग है. आरती सिंह ऐसे तो बिहार के जहानाबाद जिले के सब्दुलपुर के पास एक गांव की रहने वाली हैं. लेकिन, उन्होंने साबित कर दिखाया है कि मेहनत करने वालों की हार नहीं होती है.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो आईपीएस ऑफिसर आरती सिंह के पिता उपेंद्र सिंह सोनभद्र में बिजनेस करते थे. यही वजह थी कि आरती की स्कूली पढ़ाई सोनभद्र में हुई थी. आरती सिंह ने 2000 में अपने हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की थी और आगे की एजुकेशन के लिए वह सिंगरौली चली गईं. जहां उन्होंने साल 2002 में डीएवी में इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की थी. इंटर पास करने के बाद आरती सिंह ने 2005 में जबलपुर में रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी से कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया था, इसके बाद उन्होंने इंदौर में देवी अहिल्याबाई यूनिवर्सिटी से एमबीए किया.
पढ़ाई पूरी करने के बाद आरती सिंह ने बैंगलोर में एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करना शुरू कर दिया. हालांकि, नौकरी के दौरान आरती सिंह को लगातार ऐसा लगता रहता था कि उनकी पढ़ाई बीच में रह गई है. ऐसे में आरती ने फैसला लिया और अपनी मां को बताया कि वह आगे पढ़ना चाहती हैं. आरती ने अपनी प्राइवेट नौकरी को छोड़ा और 2012 में वह यूपीएससी की तैयारी करने के लिए दिल्ली आ गईं.
IPS बनने का सपना पूरा करने में मिली पति की मदद
मौजूदा जानकारी के मुताबिक, आरती सिंह जब दिल्ली आईं तब उनकी दोस्ती कानपुर के रहने वाले अनिरुद्ध सिंह से हुई. दोनों ने पढ़ाई में 2 साल एक साथ बिताए, लेकिन साल 2014 में अनिरुद्ध और आरती के परिवार ने शादी का दबाव बनाना शुरू कर दिया. अनिरुद्ध पहले ही PSC में सिलेक्ट हो चुके थे और नौकरी कर रहे थे. ऐसे में आरती सिंह ने शादी करने का फैसला ले लिया. आरती और अनिरुद्ध सिंह ने साल 2015 में परिवार के आशीर्वाद के साथ शादी कर ली. शादी के बाद आरती को पति का साथ मिला और उन्होंने यूपीएससी की तैयारी जारी रखी.
यूपीएससी एग्जाम से पहले आरती सिंह ने बीडीओ की परीक्षा पास कर ली थी. जिसके बाद उन्हें मेरठ में ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर के पद पर काम करने का मौका मिला. लेकिन, इसके बाद कहानी में ट्विस्ट आया. आरती सिंह जब नौकरी के लिए जा रही थीं तब उन्होंने साइनबोर्ड पर लिखा देखा कि, मंजिल सैनी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक. यह साइनबोर्ड देख आरती सिंह को गहरी प्रेरणा मिली और उन्होंने पति अनिरुद्ध को इस बार में बताने का फैसला लिया. समय बीता और आरती सिंह ने आईपीएस अधिकारी बनने और अपना सपना पूरा करने के लिए बीडीओ का पद छोड़ने का फैसला ले लिया.
यूपीएससी पास कर बनीं आईपीएस अधिकारी
आरती सिंह ने कई बार यूपीएससी की परीक्षा दी, लेकिन उन्हें आईपीएस रैंक नहीं हासिल हुई. लेकिन, साल 2017 में अपने आखिरी अटैंप्ट में आरती सिंह ने भारतीय पुलिस सेवा में अपना स्थान हासिल कर लिया. 2 साल की हैदराबाद में पुलिस ट्रैनिंग के बाद 2019 में आरती सिंह ने रोहनिया थाने की प्रभारी के रूप में वाराणसी में पोस्टिंग मिली.
वाराणसी के बाद 2020 तक उन्होंने मथुरा में सहायक पुलिस अधीक्षक के रूप में काम किया और अप्रैल 2021 में उन्होंने नव-स्थापित पुलिस आयुक्त प्रणाली के तहत वाराणसी की पहली महिला अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त के रूप में वरुणा क्षेत्र में कार्यभार संभाला और इतिहास रच दिया. आरती सिंह की कहानी सिर्फ इंस्पायर नहीं करती है, बल्कि कुछ कर-गुजरने का जोश भी रग-रग में भर देती है. आईपीएस ऑफिसर की कहानी यह भी बताती है कि अगर मेहनत के साथ परिवार का सपोर्ट भी मिले, तो दुनिया की मुश्किल से मुश्किल परीक्षा को पास किया जा सकता है और इतिहास भी रचा जा सकता है.
ये भी पढ़ें: Indian Navy Day: भारतीय नौसेना का जनक किसे कहा जाता है? जानें इनकी उपलब्धियों के बारे में

