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अगर सच में बादल फटते, तो क्या हो सकती थी बड़ी तबाही ? वैज्ञानिकों ने किया बड़ा खुलासा

हाल ही में आई भीषण आपदा के पीछे नहीं है बादल फटने की वजह. वैज्ञानिकों ने किया चौंकाने वाला खुलासा

By: DARSHNA DEEP | Published: September 14, 2025 5:27:54 PM IST



Uttrakhand Cloud Burst: आप जानकर ये हैरान रह जाएंगे कि, उत्तराखंड में हाल ही में आई भीषण आपदा के पीछे बादल फटने (Cloud Busrt) की घटना नहीं है, बल्कि तेज बारिश के कारण यह तबाही हुई है. मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, बादल फटने की घटना के लिए एक घंटे में 100 एमएम (mm) बारिश होना बेहद जरूरी है, लेकिन इस सीजन में ऐसी कोई घटना रिकॉर्ड नहीं हुई है. क्यों चौंक गए न आप. 

आपदा के कारण और प्रभाव

प्रदेश में सामान्य से अधिक बारिश होने के कारण तबाही का मंजर देखने को मिला. 1 जून से 9 सितंबर तक 1299.3 एमएम (mm)बारिश हुई, जबकि सामान्य बारिश 1060.7 एमएम (mm)है, जो सिर्फ 22 प्रतिशत अधिक है. तो वहीं दूसरी तरफ पहाड़ों पर ढलान होने की वजह से पानी, पत्थर और मलबा आकर बाढ़ का स्तर ऊंचा कर देते हैं, जिससे भारी नुकसान झेलना पड़ता है. इतना ही नहीं सरकारी विभागों ने मानसून में आई आपदा से 5700 करोड़ से अधिक के नुकसान का आकलन किया है. 
जिसमें अब तक 85 लोगों की मौत हो चुकी है और 94 लोग लापता हैं. इसके अलावा 3 हजार 726 मकानों को आंशिक (Partial) और 195 को गंभीर नुकसान भी पहुंचा है. 

क्या कहती है वैज्ञानिकों की राय

मौसम विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक रोहित थपलियाल ने जानकारी देते हुए बताया कि अधिक बारिश और नुकसान के कारण बादल फटना (Cloud Busrt)मान लिया जाता है. जो की पूरी तरह से गलत है. वहीं, अटरिया विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.माधवन नायर राजीवन कहते हैं कि बादल फटने की घटना के लिए तय मानक (Standard)और साक्ष्य होने चाहिए, जो इस मामले में नहीं हैं.

बारिश के कारण पैटर्न में बदलाव

उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बारिश के चलते पैटर्न में बदलाव देखा गया है. वाडिया संस्थान के निदेशक विनीत गहलोत के अनुसार, हर्षिल में जिस दिन आपदा आई थी, उस दिन वहां पर कुल 20 एमएम (mm)झमाझम बारिश हुई थी, जबकि डोकरानी ग्लेशियर (Dokrani Glacier)में पांच गुना बारिश रिपोर्ट दर्ज की गई है. 

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