जय शुक्ला की रिपोर्ट, Uttar Pradesh: साइबर अपराध पर रोक लगाने और लोगों को डिजिटल सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए लखनऊ पुलिस ने विशेष अभियान शुरू किया है। बढ़ते ऑनलाइन ठगी के मामलों को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने तय किया है कि नागरिकों को साइबर अपराध के तौर-तरीकों और बचाव के उपायों की जानकारी सीधे मोहल्ला और थाने स्तर पर पहुंचाई जाएगी।अभियान के तहत शहर के विभिन्न थानों में नियमित रूप से बैठकें आयोजित की जा रही हैं, जिनमें लोगों को बताया जा रहा है कि कैसे साइबर अपराधी फर्जी कॉल, मैसेज, ईमेल या सोशल मीडिया लिंक के जरिए उनके बैंक खातों, व्यक्तिगत जानकारी और डिजिटल पहचान को निशाना बनाते हैं। पुलिस अधिकारियों ने नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक न करें, ओटीपी किसी के साथ साझा न करें और संदिग्ध कॉल आने पर तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 या नजदीकी थाने से संपर्क करें।
साइबर सुरक्षा की बैठक
इसी क्रम में पीस कमेटियों की बैठकों में भी साइबर सुरक्षा को एक प्रमुख एजेंडा बनाया गया है। इन बैठकों में स्थानीय नागरिकों, व्यापारी संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और छात्र प्रतिनिधियों को बुलाकर विस्तार से बताया गया कि डिजिटल युग में सतर्कता ही सबसे बड़ा बचाव है। बैठकों में साइबर सेल के विशेषज्ञों ने भी हिस्सा लेकर उदाहरणों के जरिए लोगों को समझाया कि ठग किस तरह लालच, डर या भ्रम फैलाकर लोगों से पैसे और निजी जानकारी हड़प लेते हैं। लखनऊ पुलिस के साउथ जोन में इस अभियान को विशेष रूप से प्रभावी बनाने के लिए डीसीपी साउथ निपुण अग्रवाल और एडीसीपी रल्लापल्ली वसंथ कुमार ने सभी थाना प्रभारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं। आदेश में कहा गया है कि हर थाना क्षेत्र में सप्ताह में कम से कम दो बार सामुदायिक बैठकें आयोजित की जाएं और सोशल मीडिया, पोस्टर, बैनर और पंपलेट के जरिए जागरूकता का दायरा बढ़ाया जाए।
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पुलिस ने क्या कहा?
पुलिस अधिकारियों का मानना है कि साइबर अपराध केवल शहरी क्षेत्रों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में भी तेजी से फैल रहा है। इसलिए जरूरत है कि समाज का हर वर्ग—चाहे वह व्यापारी हो, छात्र, नौकरीपेशा या गृहिणी—साइबर सुरक्षा के बुनियादी नियमों को जाने और उनका पालन करे। पुलिस का यह भी कहना है कि जागरूकता के साथ-साथ, लोगों में आत्मविश्वास पैदा करना जरूरी है ताकि वे धोखाधड़ी का शिकार होने पर चुप न रहें, बल्कि तुरंत रिपोर्ट दर्ज कराएं। इससे अपराधियों को पकड़ना आसान होगा और अन्य लोग भी सतर्क हो सकेंगे। लखनऊ पुलिस को उम्मीद है कि सामुदायिक भागीदारी और तकनीकी जागरूकता के संयोजन से शहर में साइबर अपराध पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सकेगा।

