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हम चुनाव रोक देंगे, अदालत की शक्तियों को चुनौती न दें…जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस राज्य सरकार को लगाई फटकार?

Maharashtra Local body Election: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि महाराष्ट्र में अगले महीने होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए.

Published by Shubahm Srivastava

Supreme Court On Reservation: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि राज्य में अगले महीने होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए. अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि यदि यह सीमा पार की गई, तो वह चुनावों पर रोक लगाने का अधिकार रखती है. यह निर्देश उस समय आया जब नई आरक्षण व्यवस्था और उससे जुड़े विवाद को लेकर राज्य सरकार पर दबाव बढ़ रहा है.

…तब तक नई आरक्षण व्यवस्था लागू नहीं हो सकती

जस्टिस सूर्यकांत—जो जल्द ही देश के नए मुख्य न्यायाधीश बनने वाले हैं—की अध्यक्षता वाली दो-न्यायाधीशों की पीठ (जिसमें जस्टिस जॉयमाल्या बागची भी शामिल थे) ने कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव केवल 2022 की स्थिति के आधार पर कराए जा सकते हैं, यानी जे.के. बांठिया आयोग की उस रिपोर्ट से पहले की स्थिति जिसमें ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत तक आरक्षण की सिफारिश की गई थी. अदालत ने स्पष्ट किया कि बांठिया आयोग की रिपोर्ट अभी न्यायालय में लंबित है और उसकी वैधता पर फैसला आने से पहले नई आरक्षण व्यवस्था लागू नहीं हो सकती.

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‘हम चुनाव रोक देंगे, अदालत की शक्तियों को चुनौती न दें’

महाराष्ट्र सरकार की ओर से उपस्थित सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से सुनवाई स्थगित करने का आग्रह किया, जिस पर अगली तारीख 19 नवंबर तय की गई. लेकिन अदालत ने साथ ही कड़ा निर्देश दिया कि राज्य तब तक 50 प्रतिशत की सीमा से आगे न बढ़े. अदालत ने कहा, “अगर यह दलील दी गई कि नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और अदालत को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, तो हम चुनाव ही रोक देंगे. अदालत की शक्तियों को चुनौती न दें.”

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पीठ ने यह भी कहा कि संविधान पीठ द्वारा निर्धारित 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा को तोड़ने का अधिकार दो-न्यायाधीशों वाली पीठ के पास नहीं है, इसलिए राज्य को इस सीमा का पालन हर हाल में करना होगा. अदालत ने यह संकेत भी दिया कि वह 27 प्रतिशत आरक्षण को स्वतः लागू मानकर नहीं चल सकती, क्योंकि इससे उसके पूर्व आदेशों के साथ टकराव पैदा होगा.

सुप्रीम कोर्ट ने उन याचिकाओं पर भी नोटिस जारी किया जिनमें दावा किया गया था कि कुछ स्थानीय निकायों में कुल आरक्षण 70 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जिसे अदालत ने गंभीरता से लिया.

19 नवंबर को फिर से होगी सुनवाई

सॉलिसिटर जनरल मेहता ने तर्क दिया कि नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि सोमवार है और 6 मई के सुप्रीम कोर्ट आदेश के अनुसार चुनाव प्रक्रिया आगे बढ़ रही है. इस पर जस्टिस बागची ने टिप्पणी की कि अदालत परिस्थिति से अवगत थी, पर इसका अर्थ यह नहीं कि राज्य सभी श्रेणियों को 27 प्रतिशत की छूट दे दे और कुल आरक्षण सीमा को तोड़ दे. यह मामला अब 19 नवंबर को दोबारा सुना जाएगा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट संदेश है कि 50 प्रतिशत की सीमा किसी भी सूरत में नहीं टूटेगी.

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Shubahm Srivastava

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