Sunshine Reduce in India: भारत के कई इलाकों से बेहद हैरान कर देने वाली जानकारी सामने आ रही है. दरअसल, देश के कई इलाकों से सूरज की रोशनी कम होने की जानकारी सामने आ रही है. एक नए अध्ययन के अनुसार भारत के कई इलाकों में सूरज की रोशनी कम हो रही है. पश्चिमी तट, हिमालय क्षेत्र, दक्कन पठार और पूर्वी तट पर सूर्य के घंटे कम होने की जानकारी सामने आ रही है. इस अध्ययन को बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, पुणे के भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान और भारत मौसम विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों ने मिलकर किया है. इसकी जानकारी इकठ्ठा करने के लिए वैज्ञानिकों ने साल 1988 से 2018 के बीच भारत के नौ भौगोलिक क्षेत्रों और 20 मौसम विज्ञान स्टेशन से डेटा लिया गया है.
क्यों घट रहे धूप के घंटे?
आंकड़ों से पता चलता है कि ये परिवर्तन एयरोसोल प्रदूषण, बादलों के आवरण, आर्द्रता और मौसम में बदलाव के कारण हो रहा है. यह भारत में बढ़ती प्रदूषण समस्या को दर्शाता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत सबसे प्रदूषित देशों की सूची में पांचवें स्थान पर आता है. दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 13 भारत में स्थित हैं. मेघालय का बर्नीहाट दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बनकर उभरा है, जबकि दिल्ली लगातार छठे साल दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बनी हुई है.
क्या है इसके पीछे की वजह?
इसके पीछे कई कारण हैं. इस बारे में वैज्ञानिकों का मानना है कि वायुमंडल में एयरोसोल की बढ़ती मात्रा इसके मुख्य कारण हैं. अब आपने में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर ये एयरोसोल क्या है. तो यह धूल, कालिख और राख जैसे कण होते हैं जो हवा में तैरते रहते हैं. निर्माण स्थलों, वाहनों, कारखानों और जैव ईंधन से निकलने वाली धूल एयरोसोल का कारण बनती है. पराली जलाने से भी यह समस्या बढ़ती है.
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कहां-कहां धूप हो रहा कम?
पृथ्वी पर पड़ने वाले सूर्य के प्रकाश की मात्रा को ‘सनशाइन ऑवर’ (SSH) कहा जाता है. यह वह समय होता है जब सीधी धूप पृथ्वी पर पहुंचती है. यह हर महीने बदलता रहता है. अर्थात सूर्य के प्रकाश की मात्रा हर महीने बदलती रहती है. जून और जुलाई में इसमें कमी आती है. अध्ययन में पाया गया कि SSH अक्टूबर से मई तक अधिक होता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि इन महीनों में बादल कम होते हैं और बारिश भी कम होती है.
इस अध्ययन को पश्चिमी तट के तीन शहरों तिरुवनंतपुरम, गोवा और मुंबई पर केंद्रित रखकर किया गया है. पूरे पश्चिमी तट पर सालाना औसतन 2,300 घंटे धूप रहती थी. 2000 के बाद से इस क्षेत्र में धूप के घंटों में लगातार गिरावट देखी गई है, और प्रति वर्ष औसतन 8.62 घंटे धूप रहती है. इस क्षेत्र में सर्दियों में सबसे अधिक धूप रहती है, जबकि मानसून के महीनों में धूप कम हो जाती है.
उत्तरी क्षेत्र के कोलकाता, नई दिल्ली और अमृतसर के आंकड़ों का अध्ययन किया गया. इन शहरों में पहले औसतन प्रति माह 187 घंटे सूर्य की रोशनी मिलती थी. हालांकि, अब यह सूर्य की रोशनी 13 घंटे प्रति वर्ष की गति से कम हो रही है. सबसे कम धूप अक्टूबर से दिसंबर तक होती है, जबकि सबसे ज़्यादा धूप प्री-मानसून सीज़न अप्रैल से मई के दौरान होती है.
धूप कम होने की वजह क्या हैं?
पर्यावरण में हो रहे बदलावों और रूपांतरणों को देखते हुए यह अध्ययन महत्वपूर्ण हो जाता है. अध्ययन के लेखक मनोज कुमार श्रीवास्तव ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि सूर्य की रोशनी की कमी का मुख्य कारण वायुमंडल में पार्टिकुलेट मैटर (कणिकाओं) में वृद्धि है. वायुमंडल में एयरोसोल की मात्रा बढ़ने से बादल घने और चमकीले हो जाते हैं, और लंबे समय तक आकाश में बने रहते हैं. यह सूर्य की रोशनी को अवरुद्ध कर देता है, जिससे पर्याप्त सूर्य की रोशनी जमीन तक नहीं पहुंच पाती. इसे अल्ब्रेक्ट प्रभाव कहते हैं.
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