100 Years Of RSS: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार (1 अक्टूबर, 2025) को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की शताब्दी के अवसर पर इसकी सराहना की. उन्होंने कहा कि प्रतिबंध और षड्यंत्रों के बावजूद, संगठन ने कभी भी कोई कड़वाहट नहीं रखी, क्योंकि वह हमेशा ‘राष्ट्र प्रथम’ के सिद्धांत पर अडिग रहा.
RSS शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए, मोदी ने राष्ट्र निर्माण में संगठन के योगदान पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि RSS ने जाति और धर्म के भेदभाव से ऊपर उठकर देश में एकता और समावेशी समाज का संदेश फैलाने के उद्देश्य से देश के हर कोने तक अपनी पहुंच बनाई है.
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झूठे मामलों के माध्यम से RSS को दबाने की कोशिशें
मोदी ने कहा, “RSS ने अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी. इसका एकमात्र उद्देश्य हमेशा राष्ट्र के प्रति प्रेम रहा है.” उन्होंने कहा कि RSS के स्वयंसेवकों ने स्वतंत्रता सेनानियों को शरण दी और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इसके नेताओं को जेल में भी डाला गया. उन्होंने कहा कि झूठे आरोप लगाकर और फर्जी मामले दर्ज करके RSS की भावना को दबाने की कई कोशिशें की गईं.
महात्मा गांधी की हत्या के बाद RSS पर लगाए गए प्रतिबंध का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “RSS ने झूठे मामलों, प्रतिबंधों और अन्य चुनौतियों के बावजूद कभी भी कोई कड़वाहट नहीं रखी, क्योंकि हम ऐसे समाज से हैं जहां हम अच्छा और बुरा दोनों स्वीकार करते हैं। उनका मंत्र हमेशा यही रहा है कि सब कुछ, अच्छा या बुरा, हमारा है.”
लोकतंत्र और संवैधानिक संस्थाओं में RSS का अटूट विश्वास
मोदी ने कहा कि तत्कालीन RSS प्रमुख एम.एस. गोलवलकर को भी झूठे मामले में फंसाकर जेल में डाल दिया गया था. प्रधानमंत्री ने कहा, “लेकिन जब उन्हें रिहा किया गया तो उन्होंने शांति से कहा कि कभी-कभी जीभ दांतों के नीचे दब जाती है, लेकिन हम दांत नहीं तोड़ते क्योंकि दांत और जीभ दोनों हमारे हैं.”
उन्होंने कहा कि हर RSS स्वयंसेवक का लोकतंत्र और संवैधानिक संस्थाओं में अटूट विश्वास है, जिसने उन्हें चुनौतियों का सामना करने की शक्ति दी है. “इसी विश्वास ने हर स्वयंसेवक को आपातकाल का सामना करने की शक्ति दी.”
विशेष डाक टिकट और स्मारक सिक्का जारी किया गया
प्रधानमंत्री ने RSS की 100वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक विशेष डाक टिकट और एक स्मारक सिक्का भी जारी किया. उन्होंने कहा, “₹100 के सिक्के के एक तरफ राष्ट्रीय प्रतीक और दूसरी तरफ शेर पर बैठी भारत माता की तस्वीर है, जिसके सामने स्वयंसेवक भक्ति और समर्पण के साथ नमन करते हुए दिख रहे हैं.” उन्होंने आगे कहा, “स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार भारत माता की तस्वीर भारतीय करेंसी पर छपी है – यह गर्व और ऐतिहासिक महत्व का क्षण है. 100 साल पहले विजयादशमी को आरएसएस की स्थापना महज एक संयोग नहीं थी, बल्कि हजारों सालों से चली आ रही एक परंपरा का पुनरुद्धार था.”
चुनौतियों के बावजूद आरएसएस मजबूत-पीएम मोदी
उन्होंने कहा, “अपनी स्थापना के वक्त से ही आरएसएस देशभक्ति और सेवा का पर्याय रहा है. आरएसएस ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ में विश्वास रखता है, हालांकि आजादी के बाद इसे मुख्यधारा से बाहर रखने की कोशिशें की गईं. विविधता में एकता हमेशा भारत की आत्मा रही है. अगर यह सिद्धांत टूटता है, तो भारत कमजोर हो जाएगा.”
प्रधानमंत्री ने कहा, “चुनौतियों के बावजूद, आरएसएस मजबूत है और देश की सेवा लगातार कर रहा है.” संस्कृति मंत्रालय ने शताब्दी समारोह का आयोजन किया था, जिसमें आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसाबले, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेख गुप्ता और संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत शामिल हुए.
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