India Private Sector Nuclear: भारत, रूस और अमेरिका के बीच ऊर्जा संबंधों को लेकर बने तनावपूर्ण माहौल के बीच भारत सरकार ने हाल ही में ऐसा रणनीतिक कदम उठाया है, जिसने न केवल अंतरराष्ट्रीय दबाव कम किया है बल्कि देश की ऊर्जा सुरक्षा, तकनीकी भविष्य और रोजगार के नए अवसरों के लिए भी रास्ता खोल दिया है.
दरअसल, रूस से सस्ते कच्चे तेल की बड़ी मात्रा में खरीद पर अमेरिका ने नाराज़गी जताते हुए भारत पर लगातार कड़े टैरिफ लगाए. कई लोगों को आशंका थी कि इससे भारत की ऊर्जा आपूर्ति प्रभावित हो सकती है.
लेकिन कुछ ही महीनों में भारत ने ऐसा बड़ा निर्णय लिया, जिससे न केवल रूस-अमेरिका बैलेंस सुचारू रहेगा बल्कि भारत की लंबी अवधि की ऊर्जा रणनीति भी मजबूत होगी.
न्यूक्लियर सेक्टर और प्राइवेट सेक्टर आएंगे साथ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि सरकार न्यूक्लियर सेक्टर को प्राइवेट सेक्टर के लिए खोलने जा रही है. यह फैसला भारत की ऊर्जा नीति में ऐतिहासिक बदलाव माना जा रहा है, क्योंकि अब तक परमाणु ऊर्जा क्षेत्र लगभग पूरी तरह सरकारी नियंत्रण के अधीन था. इस निर्णय का उद्देश्य है—स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR), एडवांस्ड न्यूक्लियर रिएक्टर्स, अत्याधुनिक ऊर्जा तकनीक और नवाचार को बढ़ावा देना.
इस बदलाव से न केवल बड़े कॉरपोरेट बल्कि भारतीय स्टार्ट-अप, हाई-टेक कंपनियां और इनोवेशन आधारित उद्यम भी न्यूक्लियर रिएक्टर, SMR, एडवांस्ड रिएक्टर और नई पीढ़ी की स्वच्छ ऊर्जा तकनीकों पर शोध, विकास और उत्पादन कर सकेंगे. इससे भारत विश्व स्तर पर न्यूक्लियर इनोवेशन की दौड़ में सक्रिय भागीदार बनेगा.
ऊर्जा जरूरतों को सुरक्षित करने की ओर बड़ा कदम
सरकार का यह कदम भारत की ऊर्जा जरूरतों को सुरक्षित करने में भी अहम भूमिका निभाएगा. न्यूक्लियर ऊर्जा स्थिर, स्वच्छ और बड़े पैमाने पर विश्वसनीय ऊर्जा उत्पादन का साधन है, जिससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटेगी और अंतरराष्ट्रीय दबाव का प्रभाव कम होगा. इससे भविष्य में तेल खरीद, अंतरराष्ट्रीय टैरिफ और भू-राजनीतिक तनावों से ऊर्जा क्षेत्र को बचाने में भी मदद मिलेगी.
Gen-Z और युवाओं के लिए खुलेंगी बड़ी संभावना
इसके साथ ही, यह फैसला Gen-Z और युवाओं के लिए भी बड़ी संभावना लेकर आया है, क्योंकि न्यूक्लियर सेक्टर खुलने से इंजीनियरिंग, रिसर्च, मैन्युफैक्चरिंग, ऑटोमेशन, एआई-इंटीग्रेटेड तकनीक, सुरक्षा सिस्टम, ऊर्जा प्रबंधन और हाई-स्किल्ड नौकरियों के लाखों अवसर तैयार होंगे.
कुल मिलाकर, न्यूक्लियर सेक्टर को प्राइवेट सेक्टर के लिए खोलना भारत की ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक विकास, तकनीकी उन्नति और रोजगार सृजन—चारों मोर्चों पर एक बड़ा गेम-चेंजर साबित हो सकता है.

