Odisha News:  जब परीक्षा में आई नींद और गुरुजी बने अलार्म, गुरुजी का पढ़ाने का अनोखा अंदाज़,  तस्वीर वायरल

Odisha News: कक्षा में परीक्षा का माहौल हो और कोई छात्र नींद में डूब जाए आमतौर पर इसका नतीजा क्या होता है? डांट, डपट या कभी-कभी कड़ी सज़ा। लेकिन ओडिशा के एक शिक्षक ने इस सोच को पूरी तरह बदल दिया। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो ने यह दिखा दिया कि शिक्षक का असली काम सिर्फ अंक बांटना नहीं, बल्कि मानवीयता के साथ बच्चों का मार्गदर्शन करना भी है।

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अक्षय महाराणा की रिपोर्ट, Odisha News: कक्षा में परीक्षा का माहौल हो और कोई छात्र नींद में डूब जाए आमतौर पर इसका नतीजा क्या होता है? डांट, डपट या कभी-कभी कड़ी सज़ा। लेकिन ओडिशा के एक शिक्षक ने इस सोच को पूरी तरह बदल दिया। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो ने यह दिखा दिया कि शिक्षक का असली काम सिर्फ अंक बांटना नहीं, बल्कि मानवीयता के साथ बच्चों का मार्गदर्शन करना भी है।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो

यह कहानी है प्रभात कुमार प्रधान की, जिन्हें लोग अब “सुपर टीचर” कहने लगे हैं। वीडियो में साफ दिखाई देता है कि एक छात्र परीक्षा के दौरान थकान से इतना बेहाल हो गया कि उसने आंसर शीट को तकिए की तरह इस्तेमाल कर लिया। पूरा क्लासरूम शांत था और बच्चा सपनों की दुनिया में खोया हुआ था। तभी प्रभात सर उसकी ओर बढ़ते हैं। अब तक आपने सुना होगा कि ऐसे मौके पर गुस्सा या सज़ा मिलती है, लेकिन प्रभात सर का तरीका बिल्कुल अलग था। उन्होंने छात्र के सिर पर हल्के से हाथ रखा और बड़े स्नेह से उसे जगा दिया। न चीख-चिल्लाहट, न फटकार। छात्र जैसे ही जागा, क्लास में हल्की हंसी गूंज उठी और माहौल एकदम हल्का हो गया।

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गुरुजी का अनोखा अंदाज़

यह छोटा-सा पल इंटरनेट पर छा गया। लोगों को प्रभात सर की मुस्कान और उनका अपनापन सबसे ज़्यादा भाया। मानो उनकी आंखें कह रही हों “बेटा, नींद भी ज़रूरी है, लेकिन पढ़ाई का वक्त है, उठो।”इस घटना ने एक गहरी बात सामने रखी। अक्सर हम मानते हैं कि पढ़ाई का मतलब सख्ती है और परीक्षा का मतलब तनाव। लेकिन सच यह है कि नींद, थकान और दबाव बच्चों की सामान्य दिनचर्या का हिस्सा हैं। ऐसे में डांटकर नहीं, बल्कि समझकर ही सुधार किया जा सकता है।

गुरुजी का संदेश

प्रभात सर ने यही संदेश दिया कि शिक्षक की भूमिका सिर्फ विषय पढ़ाने तक सीमित नहीं है। वे बच्चों के दोस्त, मार्गदर्शक और कभी-कभी माता-पिता जैसे भी होते हैं। इसीलिए सोशल मीडिया पर लोग लिखने लगे “हर क्लासरूम में एक प्रभात सर होना चाहिआज जब शिक्षा प्रणाली को लेकर अक्सर सवाल उठते हैं, प्रभात सर जैसी मिसालें हमें याद दिलाती हैं कि असली शिक्षा अनुशासन और डर से नहीं, बल्कि प्रेम और संवेदनशीलता से मिलती है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि सुधार हमेशा गुस्से से नहीं, बल्कि अपनापन दिखाकर होता है।

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