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Odisha: सरकारी स्कूल में मिड-डे मील के दौरान बच्चों के बीच घूमते कुत्ते, सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल

Odisha: सरकारी स्कूल में मिड-डे मील के दौरान बच्चों के बीच घूमते कुत्ते, सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल ,शिक्षा विभाग या जिला प्रशासन की ओर से अबतक कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी

Published by Swarnim Suprakash

ओडिशा से अक्षय महाराणा की रिपोर्ट 
Oisha: ओड़िशा के राउरकेला शहर की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाने वाली एक चिंताजनक घटना सामने आई है। सेक्टर-6 स्थित एनएसी एसटी नोडल हाई स्कूल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें देखा जा सकता है कि मिड-डे मील के समय छात्र खुले में बैठकर खाना खा रहे हैं और उनके चारों ओर कई आवारा कुत्ते मंडरा रहे हैं।

कुत्तों को भगाने की कोशिश कर रहे बच्चे

वीडियो में बच्चे डरे-सहमे दिखाई दे रहे हैं और बार-बार कुत्तों को भगाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जानवर फिर भी वहीं लौट आते हैं। बच्चों को इस तरह असुरक्षित माहौल में भोजन करते देख अभिभावक और आम लोग शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

योजना की गंभीरता पर प्रश्नचिह्न

मिड-डे मील योजना का उद्देश्य बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना और स्कूल आने के लिए प्रोत्साहित करना है। लेकिन जब वही भोजन असुरक्षित वातावरण में कराया जाए, तो योजना की गंभीरता पर प्रश्नचिह्न लगना स्वाभाविक है। बच्चों का डर और असहजता साफ झलकती है, जो उनके स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति पर भी असर डाल सकती है।

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कुत्तों की मौजूदगी से यह साफ होता है कि विद्यालय परिसर की निगरानी और प्रबंधन पर्याप्त नहीं है। अब ये सवाल उठाने लगा है कि जब बच्चे ही स्कूल में सुरक्षित नहीं, तो पढ़ाई का उद्देश्य कैसे पूरा होगा?

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शिक्षा विभाग या जिला प्रशासन की ओर से अबतक कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी

घटना के उजागर होने के बाद से इस पर चर्चा तेज हो गई है। हालांकि अब तक शिक्षा विभाग या जिला प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के कारण उम्मीद की जा रही है कि मामले की जांच होगी और स्कूल प्रबंधन से जवाब तलब किया जाएगा।

स्वास्थ्य को लेकर गंभीर लापरवाही

स्कूल बच्चों के लिए सीखने और विकसित होने की जगह है, लेकिन राउरकेला की यह तस्वीरें बताती हैं कि अभी भी कई जगह बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को लेकर गंभीर लापरवाही बरती जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि तुरंत कदम नहीं उठाए गए, तो इसका असर बच्चों की शिक्षा और मानसिक विकास दोनों पर पड़ेगा।

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