Nimisha Priya Case: केरल की निमिषा प्रिया को यमन में मौत की सजा सुनाई गई है। उसे 16 जुलाई को फांसी दी जाएगी। सरकार कूटनीतिक चैनलों के जरिए निमिषा प्रिया की फांसी को टालने की कोशिश कर रही है। इस बीच निमिषा प्रिया का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट निमिषा प्रिया की याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। केरल की नर्स निमिषा प्रिया को मौत की सजा सुनाए जाने के मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में तत्काल सुनवाई की मांग की गई। निमिषा प्रिया के वकील ने ऐसी दलील दी है, जिससे निमिषा प्रिया की मौत की सजा रुक सकती है।
वकील ने दी ये दलील
दरअसल, निमिषा प्रिया के वकील ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता एक नर्स है। वह रोजगार के लिए केरल से यमन गई थी। लेकिन वहां एक स्थानीय व्यक्ति ने उसे परेशान करना शुरू कर दिया। उसके बाद उत्पीड़न की शिकार यह महिला अपने कारोबारी दोस्त तलाल अब्दो महदी की हत्या करने के लिए मजबूर हो गई। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वकील ने अदालत को बताया कि वहां के शरिया कानून के तहत अगर मृतक के परिवार को ‘ब्लड मनी’ दी जाए और वे माफी मांग लें, तो मौत की सजा माफ की जा सकती है। हम केंद्र सरकार से अनुरोध कर रहे हैं कि वह हस्तक्षेप करे और किसी कूटनीतिक तरीके से बातचीत करे।
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कब होगी अगली सुनवाई?
निमिषा प्रिया के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया कि उसकी फांसी की तारीख 16 जुलाई तय की गई है। इसलिए मामले को आज यानी 10 जुलाई या कल 11 जुलाई को सूचीबद्ध किया जाए, ताकि कूटनीतिक प्रयासों के लिए समय मिल सके। हालांकि, सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले को 14 जुलाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया है। अब देखना यह है कि केंद्र सरकार इस संवेदनशील मामले में क्या कार्रवाई करती है। पूरे भारत की नजर अब निमिषा प्रिया की फांसी पर है। भारतीय विदेश मंत्रालय निमिषा की सजा को रोकने या कम करने की हर संभव कोशिश कर रहा है।
कौन है निमिषा प्रिया?
आपको जानकारी के लिए बता दें कि, निमिषा प्रिया केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली हैं। नर्सिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह 2011 में यमन चली गईं। उनके माता-पिता मजदूरी करते थे ताकि अपनी बेटी को यमन भेज सकें। यहां उन्होंने नर्स के तौर पर काम करना शुरू किया। निमिषा प्रिया ने 2015 में यमन की राजधानी सना में एक मेडिकल क्लिनिक खोला। इसमें एक स्थानीय प्रायोजक तलाल अब्दो महदी ने उनकी मदद की। इससे एक साल पहले 2014 में उनके पति और छोटी बेटी आर्थिक तंगी के कारण भारत लौट आए थे। यमन में निमिषा का जीवन धीरे-धीरे मुश्किलों से घिरने लगा। यमन में उनका जीवन भयावह हो गया। इसके बाद उन्होंने अपने जीवन को अंधकार से बचाने के लिए जो कुछ भी किया, उसकी सजा अब वह भुगत रही हैं।

