Categories: देश

चीन जिस विदेशी जमीन से करता था भारत की जासूसी, भारतीय कंपनी ने खरीद ली वो जगह…खबर सुन उड़ गए जिनपिंग के होश

रिपोर्ट्स के मुताबिक कोलंबो डॉकयार्ड में पहले जापान की ओनोमिची डॉकयार्ड कंपनी की 51% हिस्सेदारी थी, लेकिन श्रीलंका की बिगड़ती आर्थिक स्थिति के चलते जापान पीछे हट गया।

Published by Shubahm Srivastava

Mazgaon Dockyard Deal : चीन बड़ी तेजी से हिंद महासागर में अपना वर्चस्व बढ़ाने में लगा हुआ है। इसके लिए उसने भारत के पड़ोसी देशों को भी अपने जाल में फंसा लिया है। लेकिन ड्रैगन की इस चाल को भारत ने अब बड़ा झटका दिया है। असल में महाराष्ट्र स्थित भारत की सरकारी कंपनी मजगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) ने श्रीलंका की सबसे बड़ी शिपबिल्डिंग कंपनी कोलंबो डॉकयार्ड पीएलसी में बड़ी हिस्सेदारी खरीदने का ऐलान किया है।

इस डील से चीन को काफी मिर्ची सग सकती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक यह सौदा 52.96 मिलियन डॉलर यानी लगभग 452 करोड़ रुपये में हुआ है। यह पहली बार है जब MDL ने देश से बाहर की किसी कंपनी में कोई हिस्सेदारी खरीदी है। इसे भारत की समुद्री रणनीति में ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

भारत के लिए काफी अहम है ये डील

एमडीएल का यह सौदा भारत के लिए काफी अहम है। इसके पीछे वजह यह है कि कोलंबो डॉकयार्ड न सिर्फ श्रीलंका की सबसे बड़ी शिपबिल्डिंग कंपनी है, बल्कि यह हिंद महासागर के सबसे व्यस्त शिपिंग लेन के बेहद करीब स्थित है। इसके अलावा यह वही इलाका है, जहां चीन का जासूसी जहाज दा यांग यी हाओ, जिसे वह रिसर्च शिप कहता है, यहां मंडराता रहता है।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि यह जहाज चीन का जासूसी हथियार है। इसकी मदद से वह समुद्र के अंदर भारत की सामरिक गतिविधियों पर नज़र रखता है। ऐसे में कोलंबो डॉकयार्ड के भारत के हाथ में जाने से न सिर्फ श्रीलंका में चीन का प्रभाव सीमित होगा, बल्कि इससे भारत को समुद्री सुरक्षा और व्यापार रणनीति में एक नया मोर्चा मिल जाएगा।
जापान हटा, भारत आ गया

Related Post

ऐसे मिली भारत को ये डील

रिपोर्ट्स के मुताबिक कोलंबो डॉकयार्ड में पहले जापान की ओनोमिची डॉकयार्ड कंपनी की 51% हिस्सेदारी थी, लेकिन श्रीलंका की बिगड़ती आर्थिक स्थिति के चलते जापान पीछे हट गया। इस मौके को भारत ने हाथ से नहीं जाने दिया और सरकार की पहल पर MDL ने अधिग्रहण के लिए हाथ बढ़ाया है। 

वहीं कोलंबो बंदरगाह चीन की BRI परियोजनाओं का हिस्सा रहा है और हंबनटोटा जैसे बंदरगाह पहले ही चीनी कंपनियों के पास जा चुके हैं। ऐसे में भारत का यह अधिग्रहण चीन की उस स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स नीति को बड़ा झटका देता है, जिसके तहत वह भारत को चारों ओर से घेरना चाहता है।

New RAW Chief : वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी पराग जैन बने RAW के नए चीफ, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में निभा चुके हैं बड़ी भूमिका

Shubahm Srivastava
Published by Shubahm Srivastava

Recent Posts

भगवान का पैसा खाकर मोटे हो रहे थे बैंक? सुप्रीम कोर्ट ने मारा करारा तमाचा! जानिए क्या है पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया कि मंदिर का पैसा सिर्फ देवता का है. जिसके…

December 5, 2025

World Dirtiest Cities: तेल, धुआं और गंदगी…ये हैं दुनिया के 5 सबसे गंदे शहर! लिस्ट में टॉप पर है इस देश की राजधानी

World Pollution Ranking Cities: इन शहरों में प्रशासन की उदासीनता, औद्योगिक कचरे का गलत प्रबंधन…

December 5, 2025

Akhuratha Sankashti 2025: पापों के नाश और कार्यों में सफलता के लिए रखें अखुरथ संकष्टी का व्रत

Akhuratha Sankashti 2025 Date: चतुर्थी तिथि हर महीने आती है. पौष महीने में आने वाली…

December 5, 2025