Mallikarjun Kharge Profile: कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच ‘सोलिल्लादा सरदारा’ (अजेय नेता यानी कभी न हारने वाला नेता) के नाम से मशहूर मल्लिकार्जुन खड़गे का आज जन्मदिन हैं। आज वो अपना 83वां जन्मदिन मना रहे हैं। पांच दशक से भी लंबे अपने राजनीतिक जीवन में खड़गे ने कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी कुशलता से संभाली और राजनीति व सत्ता के तमाम उतार-चढ़ावों के बावजूद गांधी परिवार के प्रति पूरी तरह वफादार रहे। कावेरी नदी जल विवाद हो या शीर्ष कन्नड़ अभिनेता दिवंगत राजकुमार का अपहरण, खड़गे ने दो दशक पहले कर्नाटक के गृह मंत्री के तौर पर ऐसी कई विकट परिस्थितियों का सामना किया है।
कैसे शुरू हुआ राजनीतिक सफर?
83 वर्षीय मल्लिकार्जुन खड़गे का सार्वजनिक जीवन उनके गृह जिले गुलबर्गा (अब कलबुर्गी) में एक यूनियन नेता के रूप में शुरू हुआ और 1969 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और गुलबर्गा शहरी कांग्रेस समिति के अध्यक्ष बने। युवावस्था में कबड्डी और हॉकी के प्रसिद्ध खिलाड़ी रहे खड़गे दशकों तक चुनावी राजनीति में अपराजित रहे और खड़गे को कन्नड़ के अलावा हिंदी, अंग्रेजी, मराठी और उर्दू में दक्षता हासिल है।
Mallikarjun Kharge Birthday:’लोगों के हित के प्रति समर्पण एक प्रेरणा…’,राहुल गांधी ने मल्लिकार्जुन खड़गे को अनोखे अंदाज में दी जन्मदिन की बधाई
कैसे बने सोलिल्लादा सरदारा?
2014 के लोकसभा चुनाव में कर्नाटक, खासकर हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र में नरेंद्र मोदी की लहर के बावजूद उन्होंने गुलबर्गा से 74,000 मतों के अंतर से जीत हासिल की। 2009 के लोकसभा चुनाव के माध्यम से राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश करने से पहले, उन्होंने गुरुमित्कल विधानसभा क्षेत्र से नौ बार जीत हासिल की। वे गुलबर्गा से दो बार लोकसभा सदस्य रह चुके हैं। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में खड़गे गुलबर्गा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता उमेश जाधव से 95,452 मतों से हार गए थे। अपने गृह राज्य कर्नाटक में ‘सोलिल्लादा सरदारा’ (कभी न हारने वाला नेता) के रूप में मशहूर खड़गे की कई दशकों के राजनीतिक जीवन में यह पहली हार थी।
केंद्र और राज्य में संभाला शीर्ष पद
खड़गे ने कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली, जिससे एक प्रशासक के रूप में उनका अनुभव समृद्ध हुआ। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार में, खड़गे ने केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में श्रम और रोजगार, रेलवे और सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभागों को संभाला। उन्होंने कर्नाटक में कई कांग्रेस सरकारों में विभिन्न विभागों का प्रभार संभाला था। खड़गे कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता भी थे और उन्हें कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) का प्रमुख भी नियुक्त किया गया था। खड़गे 2014 से 2019 तक लोकसभा में कांग्रेस के नेता थे। जून 2020 में, खड़गे कर्नाटक से राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुने गए और हाल ही तक उच्च सदन में विपक्ष के 17वें नेता थे।
Odisha Rape Case: डिनर पर बुलाकर कोल्ड ड्रिंक्स में मिलाया नशीला पदार्थ, फिर नोच डाली छात्रा की आबरू, कांग्रेस छात्र नेता की करतूत जान शर्म से झुक जाएगा सिर
कुर्सी के करीब पहुंचकर भी नहीं बन पाए सीएम
कर्नाटक में खड़गे को अक्सर मुख्यमंत्री पद के शीर्ष दावेदार के तौर पर देखा जाता था, लेकिन उन्हें यह पद कभी नहीं मिला। मिजाज और स्वभाव से सौम्य खड़गे कभी किसी बड़ी राजनीतिक समस्या या विवाद में नहीं फंसे। 21 जुलाई, 1942 को बीदर जिले के वरवती में एक गरीब परिवार में जन्मे खड़गे ने स्कूली शिक्षा के अलावा कलबुर्गी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। लॉ ग्रेजुएट खड़गे राजनीति में आने से पहले वकालत के पेशे से जुड़े थे। वह बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं और कलबुर्गी में बुद्ध विहार परिसर में बने सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट के संस्थापक-अध्यक्ष हैं। उन्होंने 13 मई, 1968 को राधाबाई से विवाह किया और उनकी दो बेटियां और तीन बेटे हैं। उनके एक बेटे प्रियांक खड़गे विधायक हैं और कर्नाटक में मंत्री हैं।