Independence Day 2025: भारतीय सेना में एक ऐसा जवान भी है जो रियल लाइफ का हीरो है। आज इस हीरो के नाम से सीमा पार पाकिस्तानी सेना के मौजूदा और रिटायर्ड जनरल दोनों ही खौफ खाते हैं। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हम बात करेंगे मेजर मोहित शर्मा की, इनकी बहादुरी और दरियादिली की कहानी सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएँगे। भारत में आतंकियों की घुसपैठ कराने वाली पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI भी मेजर मोहित शर्मा की बहादुरी के किस्से सुन थर-थर कांपने लगती है।
कौन थे मेजर मोहित
आपकी जानकारी के लिए बता दें, मेजर मोहित बहादुरी और देशभक्ति से ओतप्रोत थे। वहीँ 6 फुट 2 इंच लंबे मेजर मोहित का जन्म 13 जनवरी 1978 को हुआ था। मेजर साहब 21 मार्च 2009 को कुपवाड़ा जिले में आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे। उस समय वे अपनी टीम का नेतृत्व कर रहे थे। उनके शरीर पर कई गोलियाँ लगीं, इसके बावजूद उन्होंने 4 आतंकवादियों को मार गिराया और अपने 2 साथियों की जान बचाई। देश उनके बलिदान को कभी नहीं भूल सकता।
इस तरह जल्लादों को पहुँचाया जहन्नुम
दरअसल इस हीरो ने अपनी शहादत से पहले, भारतीय ज़मीन में छिपे पाकिस्तानी ख़ुफ़िया तंत्र और आतंकवादियों के समर्थकों को बाहर निकाला। इस दौरान इन्होने एक ऐसी कहानी गढ़ी थी कि आतंकवादियों को पालने वालों को भनक तक नहीं लगी कि उनकी साज़िश को अंजाम देने वाले शीर्ष कमांडर मारे जा चुके हैं। इफ्तिखार भट्ट कोई और नहीं, बल्कि सेना की 1-पैरा स्पेशल फ़ोर्स के एक अधिकारी मेजर मोहित शर्मा थे, जो गुप्त अभियानों के विशेषज्ञ थे। उन्होंने फ़िल्मों में दिखाई जाने वाली छद्म ऑपरेशन की कहानी को सच साबित कर दिखाया। मेजर मोहित शर्मा के बारे में यह कहानी उनके भाई मधुर ने एक इंटरव्यू में सुनाई थी।

