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Kanpur, Uttar Pradesh: अधिवक्ता अखिलेश दुबे पर आरोप, मस्तराम जैसी किताब छपवाकर किया गया चरित्र हनन

Kanpur, Uttar Pradesh: अधिवक्ता अखिलेश दुबे और उसके गैंग पर एक महिला ने गंभीर और चौंकाने वाले आरोप लगाए हैं। पीड़िता का कहना है कि गैंग ने 2009 से 2011 के बीच करीब 50 लाख रुपये की रंगदारी वसूली, होटल कब्जाने की कोशिश की

By: Srishti Sharma | Published: August 19, 2025 3:00:00 PM IST



ज़ेबा खान की रिपोर्ट, Kanpur, Uttar Pradesh: अधिवक्ता अखिलेश दुबे और उसके गैंग पर एक महिला ने गंभीर और चौंकाने वाले आरोप लगाए हैं। पीड़िता का कहना है कि गैंग ने 2009 से 2011 के बीच करीब 50 लाख रुपये की रंगदारी वसूली, होटल कब्जाने की कोशिश की और यहां तक कि उनका चरित्र हनन करने के लिए “मस्तराम” जैसी अश्लील किताबें तक छपवाकर बांटीं।

विरोध करने पर पीड़िता से मारपीट

साकेत नगर निवासी महिला प्रज्ञा त्रिवेदी ने पुलिस आयुक्त अखिल कुमार को दी गई तहरीर में बताया कि वर्ष 2009 में उन्होंने दो महिला और एक पुरुष साथी के साथ बारादेवी क्षेत्र में लोन पर होटल लिया था। इसकी भनक अखिलेश दुबे को लगी, तो उसने होटल चलाने के एवज में दो लाख रुपये प्रतिमाह रंगदारी की मांग की। भयवश कुछ रकम दी गई, लेकिन आर्थिक स्थिति खराब होने पर पैसे देना बंद कर दिया। आरोप है, कि जनवरी 2010 में अखिलेश दुबे अपने टाइपिस्ट अजय निगम और असलहाधारियों के साथ होटल पहुंचा। कर्मचारियों को धमकाकर भगा दिया गया और विरोध करने पर पीड़िता से मारपीट कर गहने तक लूट लिए गए। घटना के बाद होटल पार्टनर पीछे हट गए और महिला को अकेले ही गैंग से जूझना पड़ा।

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अश्लील सामग्री वाली किताबें छपवाकर लोगों में बांटीं

महिला का कहना है कि दुबे गैंग ने बदनाम करने के लिए उनके खिलाफ अश्लील सामग्री वाली किताबें छपवाकर लोगों में बांटीं। एक बार बैंक मैनेजर ने उन्हें ऐसी किताब दिखाई, जिसमें उनके बारे में आपत्तिजनक बातें लिखी थीं। विरोध करने पर गैंग के लोगों ने परिवार को भी बंदूक दिखाकर धमकाया। पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया कि अखिलेश ने झूठे मुकदमों में फंसाने की कोशिश की। 31 मई 2010 को उन्हें किदवई नगर थाने में पेशी का नोटिस भेजा गया, जबकि उसी दिन उनकी शादी थी। मजबूर होकर उन्हें डीजीपी तक गुहार लगानी पड़ी, तब जाकर शादी हो सकी।

प्रताड़ना से विवश होकर उन्हें बेचना पड़ा होटल

महिला का कहना है, कि कई बार पुलिस से शिकायत करने के बावजूद अखिलेश पर कार्रवाई नहीं हुई। हालांकि, उसके सहयोगी अजय निगम पर मुकदमा दर्ज हुआ, मगर विवेचना में अखिलेश का नाम अंतिम रिपोर्ट लगाकर हटा दिया गया। पीड़िता का आरोप है कि 2011 तक गैंग ने 50 लाख रुपये वसूले और प्रताड़ना से विवश होकर उन्हें होटल बेचना पड़ा। साल 2013 तक उनका परिवार गैंग की धमकियों और दबंगई से त्रस्त रहा। हाल ही में “ऑपरेशन महाकाल” के दौरान पुलिस कार्रवाई की जानकारी मिलने के बाद महिला ने हिम्मत जुटाकर तहरीर दी है। मामले की जांच एसआईटी को सौंपी गई है।

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