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Jammu & Kashmir: बदल फटने से मची तबाही,भक्तों का सफर बना मौत का मंजर, 60 की मौत, कई घायल

Jammu & Kashmir: किश्तवाड़ में बादल फटने से मची तबाही: माता वैष्णो देवी के भक्तों का सफर बना मौत का मंजर, 60 की मौत, कई घायल

Published by Swarnim Suprakash

जम्मू- कश्मीर से अजय जंडयाल की रिपोर्ट 

Jammu & Kashmir: कश्मीर के किश्तवाड़ ज़िले के दुर्गम पहाड़ी गांव चोसिटी में गुरुवार को माता मचैल यात्रा के अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुके सैकड़ों श्रद्धालुओं का सफर मातम में बदल गया, जब ऊपरी पहाड़ियों में बादल फटने से आई भीषण बाढ़ ने पलक झपकते ही पूरा इलाका तबाह कर दिया। इस आपदा में कम से कम 60 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई दर्जन घायल हुए हैं।

9 वर्षीय देवांशी उन चंद जिंदा बचे लोगों में से हैं जिन्हें मलबे और कीचड़ से घंटों बाद निकाला गया। “मैं सांस नहीं ले पा रही थी… माता ने हमें बचाया,” वह कांपती आवाज़ में कहती हैं। उनके चाचा और गांववालों ने घंटों मशक्कत कर लकड़ी के पट्टे हटाकर उन्हें बाहर निकाला।

जीवित बचने वाली भाग्यशाली स्नेहा

जम्मू की 32 वर्षीय स्नेहा भी मौत के मुंह से लौटीं। सामान गाड़ी में रखने के कुछ ही मिनट बाद वह और उनके परिवार के चार सदस्य कीचड़ और पत्थरों के सैलाब में बह गए। “मैं एक गाड़ी के नीचे कीचड़ में दब गई थी, चारों तरफ लाशें थीं। मेरे पिताजी ने पहले खुद को छुड़ाया, फिर मुझे और मेरी घायल मां को बचाया,” वह बताती हैं। “पूरा पहाड़ टूट पड़ा। चिट्टू माता मंदिर की ठाकुर जी की मूर्ति तक बह गई।”

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि तेज धमाके के बाद अचानक पानी, कीचड़, पत्थरों और पेड़ों की दीवार जैसी लहर आई और सबकुछ अपने साथ बहा ले गई। कुछ लोग गाड़ियों के टायर पकड़कर बचे, तो कुछ को मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों और ग्रामीणों ने खींचकर निकाला।

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नानक नगर की सुनीता देवी को भागते समय बिजली के खंभे से करंट लग गया। “मैं पूरे समय अपने बेटे को ढूंढ रही थी… माता रानी ने हमें बचाया,” उन्होंने कहा। वहीं, जम्मू की उमा ने गाड़ी के टायर को पकड़कर अपनी जान बचाई, लेकिन उनकी बहन अभी लापता है।

वैशाली शर्मा, जो 15 लोगों के ग्रुप के साथ थीं, ने बताया कि चेतावनी मिलने पर वे एक दुकान में छुप गए, लेकिन वह भी मलबे में दब गई। “मैं पत्थरों के बीच फंस गई थी, मुझे नहीं पता मेरे माता-पिता कहां हैं,” उन्होंने कहा।

राहत और बचाव कार्य देर रात तक जारी रहा। सेना, पुलिस, सीआरपीएफ, एसडीआरएफ, सीआईएसएफ और स्थानीय लोग लगातार मलबा हटाकर घायलों और शवों को निकालते रहे। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रदीप सिंह ने बताया कि स्थानीय ग्रामीणों ने भी बड़ी भूमिका निभाई, जिनमें गंगा राम के नेतृत्व में 20 से अधिक बाइक सवार शामिल थे, जिन्होंने सड़क कट जाने के बाद घायलों को हमोरी पहुंचाया।

कुछ घंटे पहले तक माता के जयकारों से गूंज रहा चोसिटी अब खून से सने कपड़ों, टूटी मूर्तियों और सन्नाटे में डूबा है — जहां हर जीवित बचा व्यक्ति मौत को करीब से देखने की दहशत में है।

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