नई दिल्ली से मनोहर केसरी की रिपोर्ट
Indian Railways: अबतक आपने सोलर पैनल लगाने की बात छत पर चाहे वो किसी बिल्डिंग की हो गया, रेलगाड़ियों या किसी चीज ओर के ऊपर सुना या देखा होगा, लेकिन, आजादी के 79वें दिवस के मौके पर भारतीय रेलवे ने एक अनोखा कारनामा कर इतिहास रच दिया। 15 अगस्त 2025 को भारतीय रेलवे में पहली बार बरेका में रेलवे ट्रैक के बीच सोलर पैनल लगाने में सफलता हासिल की है । ये पहल बनारस रेल कारखाना की ओर से की गई। शुक्रवार को रेल पटरियों के बीच सोलर पैनल का उद्घाटन बनारस स्थित BLW के जीएम नरेश पाल सिंह ने किया । उन्होंने ने कहा कि इस परियोजना से सौर ऊर्जा के उपयोग का नया आयाम साबित होगा और भविष्य में भारतीय रेलवे के लिए ग्रीन एनर्जी का सशक्त मॉडल बनेगा। यह भारतीय रेलवे के ‘ग्रीन ट्रांसपोर्ट’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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इसे स्वच्छ ऊर्जा, भूमि की बचत और हरित भविष्य की ओर बड़ा कदम माना जा रहा है।
बरेका की कार्यशाला की लाइन संख्या 19 पर इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में मेक इन इंडिया के तहत डिजाइन करते हुए स्थापित किया गया है। सबसे ताजुब्ब की बात ये है कि इससे ट्रेन सर्विसेज और रेल ट्रैफिक प्रभावित नहीं होंगे। कई चुनौतियों की अग्निपरीक्षा पर ये प्रोजेक्ट खरा उतरा है।
इस प्रोजेक्ट की कई तकनीकी खासियत है:-
ट्रैक लंबाई: ये 70 मीटर
कैपिसिटी: – 15 किलोवाट पीक (KWp)
पैनल संख्या:- 28
पावर डेंसिटी: – 220 KWp/किमी
एनर्जी डेंसिटी: – 880 यूनिट/किमी/दिन
सोलर पैनल की खास बातें:-
साइज: – 2278×1133×30 मिमी
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वजन: – 31.83 किग्रा
मॉड्यूल दक्षता: – 21.31%
सेल्स: – 144 हाफ कट मोनो क्रिस्टलाइन PERC बाइफेसियल
जंक्शन बॉक्स IP: – 68
अधिकतम सिस्टम वोल्टेज: – 1500 V
भविष्य में ग्रीन एनर्जी की संभावनाएं:-
देशभर में 1.2 लाख किमी के रेलवे ट्रैक का नेटवर्क है। इससे भविष्य में अपार संभावनाएं काफी दिख रही है। इस प्रोजेक्ट में भूमि अधिग्रहण की जरूरत नहीं है , क्योंकि ,यह पटरियों के बीच की उपलब्ध जगह का उपयोग करती है। एक अनुमान के मुताबिक, ऊर्जा उत्पादन 3.21 लाख यूनिट/वर्ष/किमी है, जो भारतीय रेलवे को नेट ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को पूरा कर सकता है।

