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यात्री को ट्रेन में बिरयानी खाना पड़ा महंगा! 5 साल बाद आए कोर्ट के फैसले से IRCTC की उड़ गई नींद

नई दिल्ली की एक उपभोक्ता अदालत ने भारतीय रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज़्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटीसी) को यात्री सौरव राज को 25 हजार रुपये का हर्जाना देने का आदेश दिया गया.

Published by DARSHNA DEEP

25 thousand compensation to passenger: ट्रेन पर बिरयानी खाना आपको भी अब महंगा पड़ सकता है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि, यात्रा के दौरान एक यात्री को बिरयानी खाते समय एक मरा हुआ सफेद कीड़ा दिखाई दिया, जिसके बाद से रेलवे विभाग में हड़कंप मच गया. 

आईआरसीटीसी ने यात्री को क्यों दिए 25 हजार रुपये?

आप भी यह सोच रहें होंगे कि आखिर ऐसी क्या मजबूरी होगी जिससे आईआरसीटीसी को यात्री को 25 हजार रुपये देने पड़ गए होंगे. इसके पीछे का कारण यह है कि नई दिल्ली की एक उपभोक्ता अदालत ने आईआरसीटीसी को यात्री सौरव राज को 25 हजार रुपये रुपये का हर्जाना देने का सख्त से सख्त निर्देश दिया था. 

दरअसल, अदालत ने यह माना कि ट्रेन में यात्रा के दौरान परोसे गए भोजन की गुणवत्ता सुनिश्चित करने में आईआरसीटीसी पूरी तरह से फेल हो गया है और अदालत ने आईआरसीटीसी की इस हरकत को लापरवाही करार कर दिया है. यह फैसला यात्रियों के अधिकारों की सुरक्षा को लेकर किया गया है. 

यात्री को बिरयानी खाना कैसे पड़ गया भारी?

यह हैरान करने वाला मामला 28 दिसंबर साल 2018, जब सौरव राज नाम का यात्री नई दिल्ली से झारखंड के जसीडीह जा रहे थे. यात्रा के दौरान उन्होंने पूरवा एक्सप्रेस में विक्रेता से 80 रुपये की एक प्लेट वेज बिरयानी खरीदी थी. इस बात से बेहद ही अंजान की उनके बिरयानी में जहर है, मतलब बिरयानी खाते समय उन्हें एक मरा हुआ सफेद कीड़ा दिखाई दिया. उन्होंने तुरंत अपना खाना फेंक दिया, लेकिन कुछ देर बाद उन्हें उल्टी, पेट दर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा था. 

रेलवे कर्मचारियों ने यात्री पर जबरन बनाया दबाव

ट्रेन में अकेले सफर कर रहे सौरव राज के लिए स्थिति बेहद कठिन हो गई. जब उन्होंने इस मामले की शिकायत करने की बात कही तो, रेलवे कर्मचारियों ने उनकी शिकायत से सुनने से पूरी तरह से इनकार कर दिया. लेकिन, उन्होंने कर्मचारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि संबंधित विक्रेता उनपर जबरन शिकायत वापस लेने का दबाव बना रहे थे.

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यात्री ने आईआरसीटीसी को ठहराया पूरे मामले का जिम्मेदार

इस पूरे घटनाक्रम के बाद यात्री सौरव राज ने आईआरसीटीसी को जिम्मेदार ठहराते हुए 5 लाख रुपये का हर्जाना भी मांगा. इस दौरान उन्होंने कहा कि आईआरसीटीसी की लापरवाही की वजह से न सिर्फ उनके स्वास्थ्य पर बारी असर पड़ा, इसके साथ ही यात्रा करना तनावपूर्ण हो गया था. आईआरसीटीसी ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए खेद जताया और साथ ही संबंधित सेवा प्रदाता पर जुर्माना भी लगाया.

जिला उपभोक्ता निवारण आयोग की अध्यक्ष की पीठ ने सुनाया फैसला

जिला उपभोक्ता निवारण आयोग की अध्यक्ष मोनिका श्रीवास्तव और सदस्य किरण कौशल की पीठ ने मामले में सुनवाई करने के बाद फैसला सुनाते हुए बताया कि यात्रा करने के दौरान ट्रेन में परोसा जाना वाला भोजन यात्रियों से सीधे स्वास्थ्य से जुड़ा होता है और खाने में गुणवत्ता में किसी भी प्रकार की लापरवाही को किसी भी हाल में बर्दाशत नहीं किया जाएगा.  

इसके साथ ही आयोग ने जानकारी देते हुए आगे कहा कि आईआरसीटीसी यात्री को सुरक्षित और स्वच्छ भोजन उपलब्ध कराने के लिए जिम्मेदार है, और इस मामले में उसने अपने दायित्व का उचित रालन किसी भी हाल में पूरा नहीं किया है. 

अदालत का यह फैसला न सिर्फ सौरव राज के लिए न्याय का प्रतीक है, बल्कि रेलवे के लाखों यात्रियों के लिए एक मिसाल भी है. यह दर्शाता है कि भोजन की गुणवत्ता को लेकर हुई लापरवाही पर सख्त कार्रवाई की जाएगी और उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा हमेशा से सर्वोपरि है. 

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