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HC ने NHAI को दिया बड़ा झटका, केरल हाईकोर्ट के आदेश को बदलने से किया इंकार… कहा – खस्ता हाल रोड के लिए टोल क्यों दिया जाए?

HC On NHAI : सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा है जिसमें त्रिशूर जिले के पालीक्करा टोल बूथ पर टोल वसूली बंद कर दी गई थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा है कि जब सड़क वाहन चलाने लायक नहीं है, तो उस पर टोल वसूलना गलत है। ऐसी सड़क पर टोल नहीं वसूला जाना चाहिए जो अधूरी हो, जिसमें गड्ढे हों या जिस पर यातायात जाम हो।

By: Shubahm Srivastava | Published: August 20, 2025 2:50:00 PM IST



SC On NHAI : सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा है जिसमें त्रिशूर जिले के पालीक्करा टोल बूथ पर टोल वसूली बंद कर दी गई थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा है कि जब सड़क वाहन चलाने लायक नहीं है, तो उस पर टोल वसूलना गलत है। ऐसी सड़क पर टोल नहीं वसूला जाना चाहिए जो अधूरी हो, जिसमें गड्ढे हों या जिस पर यातायात जाम हो।
 

केरल HC ने लगाई टोल लेने पर 4 सप्ताह की रोक

 
आपको बता दें कि 6 अगस्त को केरल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने राष्ट्रीय राजमार्ग 544 के एडापल्ली-मन्नुथी खंड की खराब हालत को देखते हुए 4 हफ्ते के लिए  टोल वसूली रोकने और सड़क की मरम्मत का आदेश दिया था। इस फैसले के खिलाफ भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और टोल वसूली के  लिए जिम्मेदार कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कंपनी ने दलील दी थी कि सड़क के एक बहुत ही सीमित हिस्से में रुकावट है।
केरल उच्च न्यायालय ने उस समय कहा था कि “यह सच है कि लोगों को राजमार्ग का उपयोग करने के लिए टोल शुल्क का भुगतान करने के लिए मजबूर  किया जाता है, लेकिन बिना किसी बाधा के सुचारू यातायात सुनिश्चित करना एनएचएआई या उसके एजेंटों की भी जिम्मेदारी है। जनता और एनएचएआई के बीच यह रिश्ता विश्वास के बंधन से बंधा है।
 
इसका उल्लंघन करना और कानून का सहारा लेकर लोगों से टोल शुल्क वसूलना गलत है। एनएचएआई या उसके एजेंटों को ऐसे अधिकार नहीं दिए जा सकते। जब लोग पहले ही सड़क पर परेशान हो चुके हैं, तो उन्हें पैसे देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता”।

HC ने आदेश बदलने से किया मना

मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और के विनोद चंद्रन की पीठ ने हाईकोर्ट के आदेश में बदलाव करने से इनकार कर दिया है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सड़क की खराब हालत और उस पर लगने वाले ट्रैफिक जाम का हवाला दिया था। कोर्ट ने कहा था कि जिस सड़क पर एक घंटे की दूरी 12 घंटे में तय हो रही है, उस पर टोल वसूली की अनुमति क्यों दी जाए? ऐसी सड़क पर यात्रा करने के लिए लोगों को 150 रुपये क्यों देने पड़ें?

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